नई दिल्ली, 16 अप्रैल: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था कि 'कश्मीर से कन्याकुमारी' अब देश के लोगों के लिए सपना नहीं रहेगा. जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में सड़क नेटवर्क के व्यापक विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बात कही. जम्मू-कश्मीर में सड़कों और राजमार्ग निर्माण परियोजनाओं का जहां तक संबंध है, जम्मू-कश्मीर में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 1,30,000 करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए हैं और वर्ष 2014 से इस क्षेत्र में लगभग 500 किमी सड़क नेटवर्क का निर्माण पूरा किया जा चुका है. यह भी पढ़ें: Economist Praised PM Modi: पीएम मोदी विकास की एक पूरी नई कहानी लेकर आए हैं, विश्व बैंक के कार्यक्रम में बोले अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 45,000 करोड़ रुपये की लागत से कुल 41 महत्वपूर्ण सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, जबकि केंद्रशासित प्रदेश में 5,000 करोड़ रुपये की लागत से 18 रोपवे का निर्माण किया जाएगा. मंत्री ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और विभिन्न महत्वपूर्ण परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने यह भी घोषणा की कि पहलगाम में पवित्र अमरनाथ गुफा की ओर जाने वाले 110 किमी लंबे अमरनाथ मार्ग को श्री अमरनाथ तीर्थ जाने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा.
मंत्री ने जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल से श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएस-44) के श्रीनगर-बनिहाल खंड का निरीक्षण किया, जो जम्मू और श्रीनगर के बीच सभी मौसम में संपर्क प्रदान करने के लिए बनाया जा रहा है. जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा को आसान बनाने के लिए 35,000 करोड़ रुपये की लागत से तीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं. इसके तहत जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल और आगे श्रीनगर तक के पहले कॉरिडोर में श्रीनगर से बनिहाल तक का सेक्शन शामिल है.
कुल 250 किमी लंबाई की यह फोर लेन सड़क 16,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है. इसमें से 210 किमी के चार लेन के मार्ग को पूरा कर लिया गया है, जिसमें 21.5 किमी की 10 सुरंगें शामिल हैं. इस मार्ग के बनने से जम्मू और श्रीनगर के बीच हर मौसम में संपर्क बना रहेगा. साथ ही श्रीनगर से जम्मू की यात्रा का समय 9-10 घंटे से घटाकर 4-5 घंटे हो जाएगा. रामबन और बनिहाल के बीच 40 किमी फोर लेन सड़क का कैरिज-वे जून 2024 तक पूरा हो जाएगा जिससे श्रीनगर के यात्रियों को राहत मिलेगी.
गडकरी ने लद्दाख के लिए सभी मौसम में संपर्क स्थापित करने के लिए एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला सुरंग और जम्मू-कश्मीर में लागू एक महत्वपूर्ण परियोजना का भी निरीक्षण किया. जोजिला में 6,800 करोड़ रुपये की लागत से 13.14 किलोमीटर लंबी सुरंग व अप्रोच रोड का निर्माण कार्य प्रगति पर है. यह 7.57 मीटर ऊंची घोड़े की नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब, टू-लेन सुरंग है, जो कश्मीर में गांदरबल और लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास शहर के बीच हिमालय में जोजिला र्दे के नीचे से गुजरेगी.
परियोजना में एक स्मार्ट टनल (एससीएडीए) प्रणाली शामिल है जिसका निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का उपयोग करके किया गया है। यह सीसीटीवी, रेडियो कंट्रोल, निर्बाध बिजली आपूर्ति और वेंटिलेशन जैसी सुविधाओं से लैस है. इस परियोजना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से भारत सरकार को 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई है.
जोजिला टनल प्रोजेक्ट के तहत 13,153 मीटर की मुख्य जोजिला टनल जिसमें कुल 810 मीटर लंबाई की चार पुलिया; 4,821 मीटर की कुल लंबाई की चार नीलग्रार सुरंग; कुल लंबाई 2,350 मीटर की आठ कट एंड कवर और तीन 500 मीटर, 391 मीटर और 220 मीटर ऊध्र्वाधर वेंटिलेशन शाफ्ट प्रस्तावित हैं। अभी तक जोजिला टनल का 28 फीसदी काम पूरा हो चुका है.
इस टनल के बनने से लद्दाख के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी हो जाएगी. वर्तमान में जोजिला र्दे को पार करने में औसत यात्रा समय कभी-कभी तीन घंटे लगते हैं, इस सुरंग के पूरा होने के बाद यात्रा का समय घटकर 20 मिनट रह जाएगा. इसके अलावा, गडकरी ने श्रीनगर-लेह राजमार्ग (एनएच-1) पर भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जेड-मोड़ सुरंग की प्रगति की भी समीक्षा की. करीब 2,680 करोड़ रुपये की लागत से 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ टनल और एप्रोच रोड का निर्माण कार्य प्रगति पर है. यह 2-लेन की सड़क सुरंग कश्मीर के गांदरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग के बीच थजीवास ग्लेशियर के नीचे बनाई जा रही है.
जेड-मोड़ सुरंग परियोजना के तहत 10.8 मीटर लंबी एक मुख्य सुरंग है जिसके साथ 7.5 मीटर लंबाई की घोड़े की नाल के आकार की निकास सुरंग जुड़ी हुई है. कुल 8.3 मीटर लंबाई की डी-आकार की वेंटिलेशन सुरंग, 110 मीटर और 270 मीटर लंबाई की दो प्रमुख पुलिया और कुल 30 मीटर की एक छोटी पुलिया प्रस्तावित है. अब तक जेड-मोड़ टनल का 75 फीसदी काम पूरा हो चुका है. दिसंबर 2023 तक इस टनल को राष्ट्र को समर्पित करने का लक्ष्य रखा गया है.