मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि युवाओं के लिए गेट टू गेदर और पार्टियां आयोजित करना आम बात है और इस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. जस्टिस संजय द्विवेदी ने 10 लोगों के खिलाफ एक मामले को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिन पर एक पार्टी के दौरान एक निजी अपार्टमेंट में "बेहद तेज संगीत" बजाने और शराब का सेवन करने का आरोप था. कोर्ट ने कहा, "आजकल यह बहुत आम बात है कि युवा ऐसी जगह पर गेट टू गेदर और पार्टियां आयोजित करते हैं जहां वे इकट्ठा हो सकें और उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है." HC on Dowry Deaths: दहेज के लिए हो रही हत्याओं के लिए केवल पुरुष नहीं महिलाएं भी दोषी- दिल्ली हाई कोर्ट.
कोर्ट ने कहा, 'पार्टी याचिकाकर्ता के स्वामित्व वाले फ्लैट में चल रही थी, और केवल शराब का सेवन अपराध नहीं माना जा सकता.' अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि रिकॉर्ड पर यह बताने के लिए कोई ठोस सामग्री नहीं थी कि आरोपी ने कोई अपराध किया था. अदालत ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया. यह मामला गोरखपुर के एक निवासी की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि उसके इलाके में तेज संगीत बजाया जा रहा था, जिससे उसे या उसके बुजुर्ग पिता को सोने में दिक्कत हो रही थी.
आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि यह एक निजी फ्लैट पर आयोजित एक निजी पार्टी थी और म्यूजिक एक लिमिट के अंदर बजाया गया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इमारत में रहने वाले एक अन्य निवासी को फ्लैट के मालिक के खिलाफ व्यक्तिगत शिकायत थी और इसलिए, उसने झूठी शिकायत की थी.
राज्य ने तर्क दिया कि जब पड़ोसी किसी पार्टी के कारण असुविधा का सामना करने की शिकायत करते हैं तो कार्रवाई करना पुलिस का दायित्व है. हालांकि, आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने प्रतिवाद किया कि अगर पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज करने के बजाय पार्टी को रोक दिया होता तो यह पर्याप्त होता. कोर्ट ने पार्टी कर कर दस लोगों को मामले में दोषी नहीं पाया और एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया.