COVID-19 के बाद परिवारों के बीच बीमा सबसे पसंदीदा वित्तीय उत्पाद बना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नयी दिल्ली, 28 फरवरी : कोविड-19 महामारी (Covid-19 Epidemic) के बाद परिवारों को स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थिति से राहत के लिए बीमा सबसे पसंदीदा वित्तीय उत्पाद बन गया है. टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस (Tata AIA Life Insurance) के एक सर्वे के अनुसार अब अधिक संख्या में लोग अगले छह माह में बीमा उत्पादों में निवेश की तैयारी कर रहे हैं. यह उपभोक्ता विश्वास सर्वे शोध एजेंसी नील्सन ने कराया है. इसके जरिये यह जानने का प्रयास किया गया है कि कोविड-19 का उपभोक्ताओं के विश्वास पर क्या प्रभाव पड़ा है. सर्वे में जीवन बीमा (Life insurance) सबसे पंसदीदा वित्तीय उत्पाद बनकर उभरा है. इससे न केवल परिवारों को वित्तीय सुरक्षा मिलती है, बल्कि आपात चिकित्सा खर्च को लेकर भी उनकी चिंता दूर होती है. सर्वे के अनुसार ज्यादातर उपभोक्ता अपनी निवेश योजना के तहत अगले छह माह के दौरान जीवन बीमा उत्पाद खरीदने की योजना बना रहे हैं.

यह सर्वे नौ केंद्रों में 1,369 लोगों पर किया गया. सर्वे से यह तथ्य सामने आया है कि महामारी के दौरान 51 प्रतिशत लोगों ने बीमा में निवेश किया. वहीं 48 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य से संबंधित बीमा समाधान में पैसा लगाया. यह अन्य वित्तीय संपत्ति वर्ग की तुलना में कही अधिक है. सर्वे में शामिल 50 प्रतिशत लोगों का कहना था कि महामारी के दौरान जीवन बीमा को लेकर उनके विचार में सकारात्मक बदलाव आया है. 49 प्रतिशत ने कहा कि वे अगले छह माह के दौरान जीवन बीमा कवर में निवेश करना चाहेंगे. वहीं 40 प्रतिशत ने स्वास्थ्य बीमा में निवेश का इरादा जताया. सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया कि महामारी के दौरान 30 प्रतिशत लोगों ने पहली बार जीवन बीमा में निवेश किया. वहीं 26 प्रतिशत लोगों ने पहली बार स्वास्थ्य सबंधी बीमा समाधान में निवेश किया. यह भी पढ़ें : Coronavirus Updates: कोरोना वायरस संक्रमण के 16,752 नए मामले आए सामने

चिकित्सा को लेकर आपात स्थिति तथा इलाज के खर्च को लेकर वित्तीय सुरक्षा लोगों की प्रमुख प्राथमिकता है. 62 प्रतिशत ने सर्वे में इसका उल्लेख किया. वहीं 84 प्रतिशत ने कहा कि वे कोरोना वायरस की वजह से खुद के तथा परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. 61 प्रतिशत का कहना था कि वे अपने परिवार को लेकर चिंतित हैं और इस समय उनकी सबसे बड़ी चिंता आर्थिक सुस्ती है.