नई दिल्ली, 20 फरवरी: खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (Khelo India University Games) के पदक विजेता पहलवान सनी जाधव (Sunny Jadhav) (60 किग्रा) अभी भी इंदौर की एक झुग्गी में रहते हैं. उनके जीवन में कई रातें ऐसी रही हैं, जब वह रात के खाने के लिए सिर्फ चाय और बिस्किट लेते थे या फिर खाली पेट सो जाते थे. जुलाई 2017 में ब्रेन हैमरेज के बाद अपने पिता के गुजरने के बाद वह खुद और अपने परिवार को खिलाने के लिए और अपनी आजीविका कमाने के लिए कारों को साफ करते थे. अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के लिए मजदूरी करने और दूसरों के वाहनों की सफाई करने को मजबूर हुए जाधव को सुबह में इस तरह का काम करने से महज 150 रुपये मिलते थे और दिन में वह अपनी ट्रेनिंग करते थे. जब जाधव के पिता जिंदा थे, तो वे प्रतिदिन 500 रुपये से लेकर 600 रुपये तक कमाते थे. इसके अलावा, जाधव की मां भी उनकी मदद करती थी.
जाधव की मदद के लिए हाल में खेल मंत्रालय (Ministry of Sports) आगे आया था. मंत्रालय ने पहलवान जाधव को 2.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की थी. पहलवान जाधव ने आईएएनएस से कहा, " मेरे पिता स्वस्थ थे लेकिन 2017 में उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ. चूंकि वह परिवार चलाने वाले एकमात्र सदस्य थे, इसलिए मुझे गुजर-बसर करने के लिए नौकरी करनी पड़ी. जब मैं काम करता था, तो मेरी मां भी दिन में केयर सेंटर (Care center) में काम करती थी. कभी-कभी मैं भूखा सो जाता था क्योंकि मैं कमा नहीं सकता था, या रात के खाने के लिए मेरे पास सिर्फ चाय और बिस्किट होते थे." जाधव सीनियर राष्ट्रीय स्तर के पूर्व पहलवान थे और वह एक छोटा ढाबा चलाते थे. जुलाई 2017 के बाद से यह जिम्मेदारी जाधव पर आ गई, जिन्होंने काम करना शुरू कर दिया और साथ ही साथ प्रशिक्षण के लिए समय भी निकाला. यह भी पढ़ें : Weather Update: दिल्ली ने सुबह-सुबह ओढ़ ली घने कोहरे की चादर
फ्रीस्टाइल पहलवान के रूप में शुरूआत करने के बाद, ग्रीको रोमन शैली में उनका स्विच करना भाग्य में एक नाटकीय बदलाव लाया और अब वह जालंधर में शनिवार से शुरू होने वाले नेशनल ग्रीको-रोमन चैम्पियनशिप में 60 किग्रा में पदक के दावेदार हैं. जाधव जालंधर में प्रेरणा बनने के लिए उत्साहित होंगे क्योंकि इस महीने खेल मंत्रालय ने उन्हें अपने प्रशिक्षण के लिए 2.5 लाख रुपये नकद प्रोत्साहन दिया था. उस पैसे से वह अपने कोच सहित कई लोगों से उधार लिए गए पैसे वापस करने जा रहे है. जाधव ने इंदौर से प्रशिक्षण सत्र लेने के बाद कहा, "पिछले कुछ हफ्तों से मैं रात में चैन से सो नहीं पा रहा था क्योंकि अपनी ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए दोस्तों और कोचों से उधार लिया गए पैसे 1 लाख रुपये को पार कर गया था.यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: ऑपरेशन कायाकल्प के तहत उत्तर प्रदेश में बदल रही स्कूलों की तस्वीर
मैं उन कोचों और दोस्तों को चुकाऊंगा जिनसे मैंने हाल ही में प्रशिक्षण के लिए पैसे उधार लिए थे. उनके कर्जे देने के बाद मैं अपने दैनिक आहार के पूरक के लिए शेष राशि रखूंगा." मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित और भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा गोद लिए गए मल्हार आश्रम स्कूल में जाधव के कोच सरवर मंसूरी ने कहा कि यह फंड उनके पहलवान को प्रेरित करेगी. मंसूरी ने आईएएनएस से कहा, " कैश इंसेंटिव की खबर सुनकर उनके चेहरे पर चमक आ गई. राष्ट्रीय स्तर पर शुरू होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जाधव के लिए यह बड़ा प्रेरक कारक होगा. हमारे लिए अगर वह स्वर्ण पदक जीतते हैं, तो हमें लगेगा कि उन्होंने हमारा पैसा चुका दिया है." जाधव ने पूर्व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता पहलवान किरपा शंकर पटेल से 60,000 से अधिक रुपये उधार लिए थे, जो कुछ समय से उनकी मदद कर रहे थे. जाधव ने कहा, "मैं पटेल साहब को बहुत सम्मान देता हूं. पिछले तीन वर्षों में मैंने उनसे 60,000 रुपये से अधिक उधार लिए हैं." जाधव की दो बड़ी बहनें हैं और दोनों विवाहित हैं. अपने पिता के गुजर जाने के बाद उन्होंने कुश्ती को छोड़ना चाहा. लेकिन जब से जाधव ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं, तो वह इसे जारी रखने के लिए सहमत हो गए.
इंदौर की झुग्गी में रहने वाले पहलवान जाधव की प्रेरणादायक कहानी
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पदक विजेता पहलवान सनी जाधव (60 किग्रा) अभी भी इंदौर की एक झुग्गी में रहते हैं.
नई दिल्ली, 20 फरवरी: खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (Khelo India University Games) के पदक विजेता पहलवान सनी जाधव (Sunny Jadhav) (60 किग्रा) अभी भी इंदौर की एक झुग्गी में रहते हैं. उनके जीवन में कई रातें ऐसी रही हैं, जब वह रात के खाने के लिए सिर्फ चाय और बिस्किट लेते थे या फिर खाली पेट सो जाते थे. जुलाई 2017 में ब्रेन हैमरेज के बाद अपने पिता के गुजरने के बाद वह खुद और अपने परिवार को खिलाने के लिए और अपनी आजीविका कमाने के लिए कारों को साफ करते थे. अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के लिए मजदूरी करने और दूसरों के वाहनों की सफाई करने को मजबूर हुए जाधव को सुबह में इस तरह का काम करने से महज 150 रुपये मिलते थे और दिन में वह अपनी ट्रेनिंग करते थे. जब जाधव के पिता जिंदा थे, तो वे प्रतिदिन 500 रुपये से लेकर 600 रुपये तक कमाते थे. इसके अलावा, जाधव की मां भी उनकी मदद करती थी.
जाधव की मदद के लिए हाल में खेल मंत्रालय (Ministry of Sports) आगे आया था. मंत्रालय ने पहलवान जाधव को 2.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की थी. पहलवान जाधव ने आईएएनएस से कहा, " मेरे पिता स्वस्थ थे लेकिन 2017 में उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ. चूंकि वह परिवार चलाने वाले एकमात्र सदस्य थे, इसलिए मुझे गुजर-बसर करने के लिए नौकरी करनी पड़ी. जब मैं काम करता था, तो मेरी मां भी दिन में केयर सेंटर (Care center) में काम करती थी. कभी-कभी मैं भूखा सो जाता था क्योंकि मैं कमा नहीं सकता था, या रात के खाने के लिए मेरे पास सिर्फ चाय और बिस्किट होते थे." जाधव सीनियर राष्ट्रीय स्तर के पूर्व पहलवान थे और वह एक छोटा ढाबा चलाते थे. जुलाई 2017 के बाद से यह जिम्मेदारी जाधव पर आ गई, जिन्होंने काम करना शुरू कर दिया और साथ ही साथ प्रशिक्षण के लिए समय भी निकाला. यह भी पढ़ें : Weather Update: दिल्ली ने सुबह-सुबह ओढ़ ली घने कोहरे की चादर
फ्रीस्टाइल पहलवान के रूप में शुरूआत करने के बाद, ग्रीको रोमन शैली में उनका स्विच करना भाग्य में एक नाटकीय बदलाव लाया और अब वह जालंधर में शनिवार से शुरू होने वाले नेशनल ग्रीको-रोमन चैम्पियनशिप में 60 किग्रा में पदक के दावेदार हैं. जाधव जालंधर में प्रेरणा बनने के लिए उत्साहित होंगे क्योंकि इस महीने खेल मंत्रालय ने उन्हें अपने प्रशिक्षण के लिए 2.5 लाख रुपये नकद प्रोत्साहन दिया था. उस पैसे से वह अपने कोच सहित कई लोगों से उधार लिए गए पैसे वापस करने जा रहे है. जाधव ने इंदौर से प्रशिक्षण सत्र लेने के बाद कहा, "पिछले कुछ हफ्तों से मैं रात में चैन से सो नहीं पा रहा था क्योंकि अपनी ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए दोस्तों और कोचों से उधार लिया गए पैसे 1 लाख रुपये को पार कर गया था.यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: ऑपरेशन कायाकल्प के तहत उत्तर प्रदेश में बदल रही स्कूलों की तस्वीर
मैं उन कोचों और दोस्तों को चुकाऊंगा जिनसे मैंने हाल ही में प्रशिक्षण के लिए पैसे उधार लिए थे. उनके कर्जे देने के बाद मैं अपने दैनिक आहार के पूरक के लिए शेष राशि रखूंगा." मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित और भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा गोद लिए गए मल्हार आश्रम स्कूल में जाधव के कोच सरवर मंसूरी ने कहा कि यह फंड उनके पहलवान को प्रेरित करेगी. मंसूरी ने आईएएनएस से कहा, " कैश इंसेंटिव की खबर सुनकर उनके चेहरे पर चमक आ गई. राष्ट्रीय स्तर पर शुरू होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जाधव के लिए यह बड़ा प्रेरक कारक होगा. हमारे लिए अगर वह स्वर्ण पदक जीतते हैं, तो हमें लगेगा कि उन्होंने हमारा पैसा चुका दिया है." जाधव ने पूर्व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता पहलवान किरपा शंकर पटेल से 60,000 से अधिक रुपये उधार लिए थे, जो कुछ समय से उनकी मदद कर रहे थे. जाधव ने कहा, "मैं पटेल साहब को बहुत सम्मान देता हूं. पिछले तीन वर्षों में मैंने उनसे 60,000 रुपये से अधिक उधार लिए हैं." जाधव की दो बड़ी बहनें हैं और दोनों विवाहित हैं. अपने पिता के गुजर जाने के बाद उन्होंने कुश्ती को छोड़ना चाहा. लेकिन जब से जाधव ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं, तो वह इसे जारी रखने के लिए सहमत हो गए.