
भारत में सट्टा मटका की दुनिया में "दिसावर सट्टा किंग" एक जाना-पहचाना नाम बन चुका है. यह एक नंबर गेम है जिसमें खिलाड़ी 00 से 99 तक किसी भी नंबर पर दांव लगाते हैं. हर दिन एक निश्चित समय पर रिजल्ट घोषित होता है और जिस व्यक्ति का लगाया हुआ नंबर निकलता है, वह “सट्टा किंग” कहलाता है. इस खेल की शुरुआत गाजियाबाद के दिसावर इलाके से मानी जाती है, और तभी से इसे "दिसावर" नाम दिया गया. पहले यह सिर्फ सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित था, लेकिन आज यह पूरे भारत में इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से फैल चुका है.
मोटी कमाई का लालच
इस खेल का सबसे बड़ा आकर्षण है. जल्दी और भारी रकम जीतने का सपना. कुछ मामलों में अगर सही नंबर चुन लिया जाए, तो खिलाड़ी को 90 गुना तक पैसा मिल सकता है. जैसे मान लीजिए आपने 10 रुपये लगाए और आपका नंबर निकला, तो आपको 900 रुपये तक मिल सकते हैं.
लेकिन यहीं से शुरू होता है असली खेल. लोग एक बार जीतने के बाद बार-बार खेलने लगते हैं, और धीरे-धीरे पूरा पैसा हार जाते हैं.
सट्टा के पीछे छिपा खतरा
जितना आसान यह खेल बाहर से दिखता है, असल में उतना ही खतरनाक भी है. हारने पर लोग तनाव, अवसाद और कर्ज में डूब जाते हैं. कई बार पारिवारिक कलह और रिश्तों का टूटना भी इसका नतीजा बन जाता है. कुछ लोग इस चक्कर में अपने घर की जमा पूंजी तक गंवा बैठते हैं, और फिर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता.
ऑनलाइन सट्टा
अब सट्टा अड्डों तक सीमित नहीं रहा. आजकल WhatsApp ग्रुप, टेलीग्राम चैनल, वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप्स के जरिए यह खेल पूरे देश में फैल चुका है. लोग रात-रात भर जागकर “लीक नंबर” और “गेसिंग चार्ट” का पीछा करते हैं. कुछ लोग तो इसे "नंबर की साइंस" तक कहने लगे हैं. लेकिन असलियत ये है कि ये पूरी तरह एक अनिश्चितता और किस्मत का खेल है, जहां हार का खतरा जीत से कहीं ज्यादा बड़ा है.
डिस्क्लेमर: सट्टा मटका या इस तरह का कोई भी जुआ भारत में गैरकानूनी है. हम किसी भी तरह से सट्टा / जुआ या इस तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं.