कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने से बच्चों में मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग का खुमार बढ़ा है. आज के इस डिजिटल युग में ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) का क्रेज बच्चों में खूब बढ़ा है. बच्चों के बीच यह बहुत लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि आज के गेम के डिज़ाइन व उसमें चुनौतियां खेलने वाले में उत्तेजना बढ़ाती हैं और उन्हें अधिक खेलने के लिए प्रेरित करती हैं. गेम को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि हर लेवल पिछले की तुलना में अधिक जटिल और कठिन होता है. जो कि बच्चों को खेल में आगे बढ़ने के लिए उकसाने का कारण बनता है. यही वजह है कि बच्चों को इसकी लत लग सकती है.
ऑनलाइन गेम या तो इंटरनेट पर या किसी अन्य कंप्यूटर नेटवर्क से खेले जा सकते हैं. ऑनलाइन गेम लगभग हर किसी गेमिंग प्लेटफॉर्म जैसे पीसी, कंसोल और मोबाइल डिवाइस पर खेले जा सकते हैं. जबकि ऑनलाइन गेम हर स्मार्टफोन या टैबलेट पर खेला जा सकता है जो ऑनलाइन गेम की लत का एक सामान्य कारक है. क्योंकि बच्चे आसानी से किसी भी समय कहीं भी गेम खेल सकते हैं जोकि उनके स्कूल और सामाजिक जीवन के समय को प्रभावित करता है. दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को मरने नहीं दे सकते: उच्च न्यायालय
इसके अलावा, ऑनलाइन गेमिंग के कई नुकसान भी हैं. ऑनलाइन गेम खेलने से गेमिंग की लत भी लग सकती है जिसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है. अधिकांश मामले बिना किसी प्रतिबंध और आत्म-संयम की कमी के चलते सामने आते है. ऑनलाइन गेम खेलने से कई खिलाड़ी इतने आदी हो जाते हैं कि उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट की जरुरत पड़ने लगती है.
गेमिंग डिसऑर्डर से ऐसे करें बचाव-
- माता-पिता की सहमति के बिना गेम खरीदारी की अनुमति न दें. ऐप खरीदारी से बचना चाहिए; आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ओटीपी आधारित भुगतान विधियों को अपनाया जा सकता है.
- ऐप्स पर सदस्यता के लिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड पंजीकरण से बचें. हर लेन-देन की व्यय की ऊपरी सीमा निर्धारित करें.
- बच्चों को गेमिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले लैपटॉप या मोबाइल से सीधे खरीदारी न करने दें.
- बच्चों को अज्ञात वेबसाइटों से सॉफ्टवेयर और गेम डाउनलोड न करने की सलाह दें.
- उन्हें वेबसाइटों पर लिंक, इमेज और पॉप-अप पर क्लिक करने से सावधान रहने के लिए कहें, क्योंकि उनमें वायरस हो सकता है और कंप्यूटर को नुकसान हो सकता है, और इसमें आयु के अनुसार अनुचित सामग्री भी मौजूद हो सकती है.
- उन्हें सलाह दें कि गेम डाउनलोड करते समय इंटरनेट पर व्यक्तिगत जानकारी प्रेषित न करें.
- उन्हें कभी भी गेम और गेमिंग प्रोफ़ाइल पर लोगों के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए.
- उन्हें वेब कैम, निजी संदेश या ऑनलाइन चैट के माध्यम से वयस्कों सहित अजनबियों के साथ संवाद न करने की सलाह दें, क्योंकि इससे ऑनलाइन दुर्व्यवहार करने वालों, या अन्य प्लेयर्स द्वारा धमकाने के बारे में संपर्क का जोखिम बढ़ जाता है.
- स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं और उसकी लत लगने के मद्देनजर गेम को बिना रुके लंबे समय तक खेलने से बचने की सलाह दें.
बचाव के तरीके-
- ऑनलाइन गेम खेलते समय, अगर कुछ गलत हुआ है, तो तुरंत रुकें और एक स्क्रीनशॉट लें (कीबोर्ड पर "प्रिंट स्क्रीन" बटन का उपयोग करके) और इसकी रिपोर्ट करें.
- अपने बच्चे की उनकी ऑनलाइन गोपनीयता की रक्षा करने में मदद करें, उन्हें एक स्क्रीन नाम (अवतार) का उपयोग करने के लिए कहें, जो उनके वास्तविक नाम को प्रकट नहीं करता है.
- एंटीवायरस/स्पाइवेयर प्रोग्राम का उपयोग करें और फ़ायरवॉल का उपयोग करके वेब ब्राउज़र को सुरक्षित रूप से कॉन्फ़िगर करें.
- डिवाइस पर या ऐप या ब्राउज़र पर माता-पिता के नियंत्रण और सुरक्षा सुविधाओं को सक्रिय करें क्योंकि यह कुछ सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने और गेम खरीदारी पर खर्च को सीमित करने में मदद करता है.
- यदि कोई अजनबी किसी अनुचित चीज़ के बारे में बातचीत शुरू करने का प्रयास करता है या व्यक्तिगत जानकारी का अनुरोध करता है तो इसके बारे में सूचित करें.
- आपका बच्चा जो भी गेम खेल रहा है उसकी आयु रेटिंग जांचें.
- बुलीइंग के मामले में, प्रतिक्रिया न देने के लिए प्रोत्साहित करें और परेशान करने वाले संदेशों का रिकॉर्ड रखें और गेम साइट व्यवस्थापक को व्यवहार की रिपोर्ट करें/ब्लॉक करें, उस व्यक्ति को उनकी खिलाड़ियों की सूची से म्यूट या 'अनफ्रेंड' करें, या इन-गेम चैट प्रक्रिया बंद करें.
- अपने बच्चे के साथ गेम खेलें और बेहतर तरीके से समझें कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारी को कैसे संभाल रहे हैं और वे किसके साथ संवाद कर रहे हैं.
- अपने बच्चे को यह समझने में सहायता करें कि ऑनलाइन गेम में कुछ सुविधाओं का उपयोग अधिक खेलने और खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है. उनसे जुए के बारे में बात करें, यह क्या है और ऑनलाइन एवं वास्तविक दुनिया में इसके परिणाम क्या हैं.
- हमेशा सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा पारिवारिक स्थान पर रखे कंप्यूटर से इंटरनेट का उपयोग करे.
गेमिंग डिसऑर्डर के संकेत-
- असामान्य रूप से गुप्त व्यवहार, अधिकतर उनकी (बच्चों) ऑनलाइन गतिविधि से संबंधित.
- उनके द्वारा ऑनलाइन खर्च किए जाने वाले समय में अचानक वृद्धि, विशेष रूप से सोशल मीडिया पर.
- उनके पास जाने पर वे अपने डिवाइस पर स्क्रीन बदलते प्रतीत होते हैं.
- इंटरनेट का उपयोग करने या पाठ संदेश भेजने के बाद, वे पीछे हट जाते हैं या क्रोधित हो जाते हैं.
- उनके डिवाइस में अचानक कई नए फ़ोन नंबर और ई-मेल संपर्क आ गए हैं.
- घर पर इंटरनेट गेटवे स्थापित करें जिसमें बच्चों द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री की निगरानी, लॉगिंग और नियंत्रण जैसी सुविधाएं हों.
शिक्षकों को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान-
- शिक्षकों को छात्रों के गिरते ग्रेड और सामाजिक व्यवहार पर नजर रखने की जरूरत है.
- यदि शिक्षक कुछ ऐसा देखते हैं जो संदिग्ध या खतरनाक लग सकता है, तो उन्हें तुरंत स्कूल अधिकारियों को सूचित करना चाहिए.
- शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को समय-समय पर इंटरनेट के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए.
- शिक्षकों को वेब ब्राउज़र और वेब एप्लिकेशन के सुरक्षित कॉन्फ़िगरेशन के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करना चाहिए.
किसी भी अप्रिय घटना की यहां दर्ज करें रिपोर्ट-
- राष्ट्रीय हेल्पलाइन National Helpline- https://cybercrime.gov.in/Webform/Helpline.aspx
- राज्यवार नोडल अधिकारी- https://cybercrime.gov.in/Webform/Crime_NodalGrivanceList.aspx
जानकारों की मानें तो गेमिंग कंपनियां भावनात्मक रूप से बच्चों को खेल के और अधिक चरण (लेवल) या ऐप को खरीदने के लिए भी लगभग मजबूर करती हैं. इस समस्या को दूर करने में माता-पिता और शिक्षक अहम भूमिका निभा सकते है.