रांची, 4 नवंबर: झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) के तहत 1लाख 33 हजारसे भी ज्यादा योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें तय अनुमान की तुलना में 75 से 100 फीसदी ज्यादा रकम खर्च कर दी गयी हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इसके बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है. अब ऐसी योजनाओं की जमीनी हकीकत की जांच कराने का आदेश दिया गया है. राज्य की मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी. द्वारा की गयी समीक्षा के दौरान यह मामला उजागर हुआ. उन्होंने सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को ऐसी योजनाओं की जमीनी जांच करवाकर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मनरेगा के तहत ली गयी 9.80 लाख योजनाएं तय समय पर पूरा नहीं की जा सकी हैं.
इनमें एक लाख छब्बीस हजार दस योजनाएं ऐसी हैं जिसमें तय एस्टीमेट से 75 प्रतिशत से अधिक की राशि खर्च कर दी गयी, जबकि 6818 योजनाएं ऐसी हैं जिसमें एस्टीमेट की तुलना में100 फीसदी अधिक राशि खर्च की गयी. इस तरह पूरे राज्यभर में 1.33 लाख योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें75 से 100 फीसदी राशि अधिक खर्च कर दी गयी है. समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि मुर्गी पालन,कुआं, डोभा निर्माण,बकरी शेड जैसी छोटी-छोटी योजनाओं में विभाग के द्वारा तय मापदंड सेज्यादा राशि खर्च की गयी, इसके बाद भी हजारों योजनाएं अभी भी लंबित हैं. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: 45 दिन के तलाशी अभियान के बाद पकड़ा गया तेंदुआ
इस वजह से लाभ पाने वाले लोगों को योजनाओं का लाभ भी नहीं मिला. तय एस्टीमेट की तुलना में ज्यादा राशि खर्च किये जाने के सबसे ज्यादा मामले पलामू जिले में आये हैं. इनके अलावा गिरिडीह, गढ़वा, देवघर, पश्चिम सिंहभूम सहित अन्य जिलों में भी बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आये हैं. माना जा रहा है कि ये गड़बड़ियां जिलों और प्रखंडों के अधिकारियों और काम कराने वाली एजेंसियों की मिलीभगत से हुई हैं. मनरेगा आयुक्त ने उप विकास आयुक्तों को लिखे गये पत्र में योजना के तहत कराये जा रहे कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग करने का भी निर्देश दिया है. को जांच के बाद जिम्मेदार अधिकारियों और एजेंसियों पर कार्रवाई की जा सकती है.