लंदन: आयरलैंड में गर्भपात पर लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है. बता दें कि प्रतिबंध को हटाने के लिए किए गए जनमत संग्रह में 66.4 लोगों ने इसके पक्ष में मतदान किया. जबकि 33.6 फीसदी लोग चाहते थे कि गर्भपात पर बैन लगा रहे.सबसे खास बात इस मुहिम की यह रही की इसके पीछे एक भारतीय महिला रही है. ज्ञात हो कि आयरलैंड में भारतीय दंतचिकित्सक सविता हलप्पनवार को 2012 में गर्भपात की इजाजत नहीं मिलने पर एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद से ही देश में गर्भपात पर चर्चा छेड़ दी. आयरलैंड के मतदाताओं ने इस पारंपरिक कैथोलिक देश को यूरोप के कुछ कड़े गर्भपात संबंधी कानूनों को लचीला बनाना चाहिए या नहीं, इस मुद्दे पर जनमत संग्रह में हिस्सा लिया था.
गौरतलब है कि आयरलैंड पारंपरिक रूप से यूरोप के सबसे धार्मिक देशों में से एक है. हालांकि बाल यौन उत्पीडन के मामले प्रकाश में आने के बाद हाल के वर्षों में कैथोलिक चर्च का प्रभाव कम हुआ है. भारतीय मूल की सविता हलप्पनावर का छह साल पहले मिसकैरिएज हो गया था. हालांकि कड़े कैथोलिक कानून के चलते उन्हें गर्भपात (बच्चा गिराने) की मंजूरी नहीं मिली थी. इस वजह से उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद ही मां की जिंदगी पर जोखिम होने पर गर्भपात की मंजूरी के लिए 2013 में इस कानून में बदलाव किया गया था.
भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने शनिवार को जनमत संग्रह के नतीजों की घोषणा की. पीएम ने कहा कि लोगों ने अपनी राय जाहिर कर दी. उन्होंने कहा है कि एक आधुनिक देश के लिए एक आधुनिक संविधान की जरूरत है
पीएम ने कहा कि आयरलैंड के मतदाता, “महिलाओं के सही निर्णय लेने और अपने स्वास्थ्य के संबंध में सही फैसला करने के लिए उनका सम्मान और उन पर यकीन करते हैं." उन्होंने कहा कि हमने जो देखा वह आयरलैंड में पिछले 20 साल से हो रही शांत क्रांति की पराकाष्ठा है.