Investment Portfolio: भारत में स्थिर मोदी सरकार से आया सुधार, Foreign Investors ने India में किया मोटा निवेश
FPI (Photo Credit : Twitter)

Foreign Investment in India: भारत में 2014 के बाद से ही केंद्र में पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार है. पूर्ण बहुमत का लाभ उठाकर सरकार ने कई सुधार किए हैं. विदेशी निवेशकों (FPI) ने मजबूत अर्थव्यवस्था, स्थिर सरकार और उल्लेखनीय सुधारों को संज्ञान में लिया. इसे देखते हुए विदेशी निवेशकों (Foreign investors) ने भारत को अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो (Investment Portfolio) में इंडिया को अपग्रेड कर डेडीकेटेड अलोकेशन की श्रेणी में डाल दिया है. Oyo Layoffs: ओयो में 600 कर्मचारियों की छंटनी, कंपनी ने जारी किया बयान

इक्विटी विशेषज्ञों ने कहा है कि विदेशी निवेशकों ने भारत को अपने निवेश पोर्टफोलियो में एक समर्पित आवंटन के रूप में अपग्रेड किया है. इसके पहले इन्वेस्टर्स ने भारत को उभरते बाजारों की श्रेणी में रखा था और केवल चीन ही डेडीकेटेड अलोकेशन (Dedicated Allocation) की श्रेणी में था.

मुंबई में ग्रीनलैंड इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट एलएलपी के संस्थापक और सीआईओ अनंत जटिया के अनुसार, पहले, निवेशकों ने भारत को उभरते बाजारों में समूहीकृत किया था और तुलनात्मक रूप से केवल चीन एक "समर्पित आवंटन" उभरता हुआ बाजार था.

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन में कोविड के चलते अनिश्चितता की वजह से निवेशक भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं. फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) भारत की ओर आ रहे हैं. आंकड़ों की बात करें तो नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में 5 अरब डॉलर FPI आया है, जबकि 2022 के शुरुआती 10 महीनों में 23 अरब डॉलर आया है.

उन्होंने कहा कि फ़्लिप प्रभावशाली है क्योंकि फेड फ़ंड दर के साथ तरलता की लागत में काफी वृद्धि हुई है, जो वर्तमान में 3.83 प्रतिशत है, इस महीने अतिरिक्त 50 आधार महीने बढ़ने की उम्मीद है.

भारतीय इक्विटी पर ध्यान केंद्रित करने वाले सिंगापुर स्थित शेयर बाजार विशेषज्ञ सुनील सचदेवा ने कहा कि भारतीय शेयर बाजारों ने हाल के महीनों में अच्छा लचीलापन दिखाया है, और एक नया विकास प्रक्षेपवक्र मारा है, हालांकि कुछ प्रमुख वैश्विक बाजारों में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आई है. आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण प्रतिशत.

सचदेवा ने कहा, "यह लचीलापन सरकार के अच्छे नियामक सुधारों, सहायक नीतियों और घरेलू खपत के अच्छे स्तर के साथ अर्थव्यवस्था पर RBI की पैनी नज़र से आया है."

उन्होंने कहा कि यह बहु-वर्षीय विकास चक्र की शुरुआत है और यह निवेशित रहने का समय है. उन्होंने कहा, 'हमने यहां एफआईए कार्यक्रम में एक बाजार के रूप में भारत में बड़ी दिलचस्पी देखी है और हर कोई भारतीय शेयर चाहता है. अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेशक भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना चाहते हैं. कुछ महीने पहले भारत की चीन से तुलना करने पर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में इस बात को लेकर असमंजस था कि कहां निवेश किया जाए.