Digital Payment Frauds: कुछ वर्ष पहले तक अधिकांश भारतीय छोटे-मोटे लेनदेन में डिजिटल भुगतान (Digital Payment) को खास तवज्जो नहीं देते थे. अधिकतर आबादी कैश लेनदेन को पसंद करती है. हालांकि अब समय बदल चुका है और लोग डिजिटल लेनदेन की और तेजी से कदम बढ़ा रहे है. इस के साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी सहित तमाम साइबर अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2017 और वित्तीय वर्ष 2020 के बीच ऑनलाइन भुगतान से जुड़े फ्रॉड के कुल 140,471 मामले सामने आये है, इसमें कुल 589.14 करोड़ रुपयों की चपत लगाई गयी है. Online Dating Fraud: ऑनलाइन डेटिंग के चक्कर में कपड़ा व्यापारी को लगा 15 लाख का चूना
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जरी किये गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 और 2018 में ऑनलाइन धोखाधड़ियों के क्रमश: 3466 और 3353 मामले दर्ज किए गए थे. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के संबंध में अलग से आंकड़े एकत्र करने का कार्य वर्ष 2017 से शुरू किया है.
डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी (Digital Payment Frauds) क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग से बड़े पैमाने पर होती है. हालांकि अगर हम और आप सचेत रहें तो धोखेबाजों का शिकार बनने से बचा जा सकता है. डिजिटल लेनदेन (Digital Transaction) के दौरान ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए नीचे कुछ जरुरी टिप्स बताएं गए है-
- एक अनुमान लगाने के लिए कठिन पासवर्ड का उपयोग करें जिसमें अपर केस, लोअर केस लेटर्स, संख्याएं और सिम्बल शामिल हों
- सभी ऑनलाइन खातों के लिए एक ही यूज़र नेम और पासवर्ड का उपयोग न करें.
- जितनी बार हो सके पासवर्ड बदलें, लेकिन कम से कम हर तीन महीने में तो अवश्य ही बदलें
- अपने पासवर्ड या यूज़र आइडेंटिफिकेशन की जानकारी साझा न करें
- अपने लेनदेन को पूरा करने के बाद बैंक, क्रेडिट कार्ड और मर्चेंट साइटों से हमेशा लॉग आउट करें
- अपने कंप्यूटर को मर्चेंट या बैंकिंग वेबसाइटों के लिए यूज़र नेम और पासवर्ड संग्रहीत करने की अनुमति न दें.
- ऑनलाइन साइटों के लिए सुरक्षा प्रश्न सेट करते समय, आपकी व्यक्तिगत जानकारी को लेकर गलत जानकारी का उपयोग करें, और अपने उत्तरों पर नज़र रखें
- सुरक्षित ऑनलाइन लेन-देन केवल ऐसी वेबसाइट पर होना चाहिए जो "https://" से शुरू होती है. वेब एड्रेस की शुरुआत में "http" के बाद "S" के बिना किसी विक्रेता पर भरोसा न करें.
- हर इंटरनेट खरीद और लेनदेन के रिकॉर्ड रखें, और उनकी तुलना मासिक रूप से क्रेडिट कार्ड व बैंक स्टेटमेंट से करें. किन्ही भी विसंगतियों की रिपोर्ट कार्ड जारी करने वाले को तुरंत करें.
- यह जानें कि आपका प्रत्येक क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से बचाव और देयता से बचाव के रूप में क्या प्रदान करता है. यह जानें कि धोखाधड़ी के प्रति संरक्षण कवरेज के लिए डॉलर की राशि की सीमाएं क्या हैं.
- हमेशा एक मजबूत एंटी-वायरस और फ़ायरवॉल सिक्योरिटी प्रोग्राम के सबसे अपडेटेड संस्करण का उपयोग करें.
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके प्रोग्राम में नए घोटालों और हैकर्स की तिकड़मों के बारे में नवीनतम जानकारी है, अपने एंटीवायरस और फ़ायरवॉल प्रोग्राम्स के अपडेट उपलब्ध होने पर डाउनलोड करें और लागू करें .
- अपने कंप्यूटर पर नियमित रूप से वायरस स्कैन चलाएं.
- एक ऐड-ब्लॉकिंग सॉफ्टवेयर प्रोग्राम और एक स्पाइवेयर डिटेक्शन प्रोग्राम का उपयोग करें. इन प्रोग्राम्स को अपडेटेड रखें और उनके द्वारा स्कैन अक्सर चलाएं.
- "ईजी पे" भुगतान विकल्प या "वन-क्लिक ऑर्डरिंग" का उपयोग न करें. किसी व्यापारी साइट पर यूज़र नेम और पासवर्ड दर्ज करने के लिए केवल कुछ अतिरिक्त सेकंड लगते हैं लेकिन क्रेडिट कार्ड से जुडी ऑनलाइन धोखाधड़ी से उबरने में अक्सर महीनों लगते हैं.
- अपने इंटरनेट ब्राउज़र के सबसे नवीनतम अपडेटेड संस्करण का उपयोग करें. वे वेब के माध्यम से भेजे गए डेटा को परिमार्जित व संरक्षित करने के लिए सबसे हालिया तकनीक का उपयोग करेंगे.
उल्लेखनीय है कि विधि प्रवर्तन एजेंसियां ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों का निपटान करने के लिए अपनी आवश्यकता के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, पेशेवर लोगों की सहायता लेती हैं. इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी करने और उनका निपटान करने हेतु राज्य, संघ राज्य क्षेत्र अपने पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दे रही है.
इन अपराधों से एक विस्तृत और समन्वित ढंग से निपटने हेतु तंत्र को सुदृढ़ बनाने की दृष्टि से केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने, चेतावनियां, एडवाइजरी जारी करने के साथ ही प्रशिक्षण और साइबर फॉरेंसिक सुविधाओं में सुधार करने आदि कदम उठाए है.