देश की अपनी डिजिटल करेंसी के रूप में पहला कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ई-रूपी व्यवस्था लॉन्च की है. ई-रूपी, एक इलेक्ट्रॉनिक वाउचर आधारित डिजिटल पेमेंट सिस्टम है. ये नगदी के लेनदेन का एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल पेमेंट्स माध्यम है. ई-रूपी, मोबाइल फोन पर एक एसएमएस स्ट्रिंग या क्यूआर कोड के रूप में प्राप्त होगा. यह एक गिफ्ट वाउचर के जैसा होगा जिसे बिना किसी क्रेडिट या डेबिट कार्ड या मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के खास सेंटर्स पर रिडीम कराया जा सकेगा. लॉन्चिंग के दौरान सबसे पहले इस ई-वाउचर का इस्तेमाल वैक्सीनेशन सेंटर पर भुगतान के रूप में किया गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने लॉन्चिंग के दौरान इसपर कहा कि ई-रूपी वाउचर देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को, डीबीटी को और प्रभावी बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है. इससे टार्गेटिड, ट्रांसपेरेंट और लीकेज फ्री डिलीवरी में सभी को बड़ी मदद मिलेगी.
ई-रूपी को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीआईसी), डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने मिलकर लॉन्च किया है. ये सिस्टम पर्सन-स्पेसिफिक और पर्पज स्पेसिफिक होगा, जो यूपीआई पर आधारित है. इसके माध्यम से बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के सर्विसेज उपलब्ध कराने वाले को बेनेफिशरीज और सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ कनेक्ट कराया जा सकेगा.
बिचौलियों से मिलेगा छुटकारा
ये एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें किसी योजना का लाभ पाने वाले और सर्विस प्रोवाइडर के बीच कोई और मध्यस्थ नहीं होगा यानि बिचौलियों को सिस्टम खत्म होगा. क्योंकि सरकार की ओर से जो वाउचर देने वाले हैं, उनकी तरफ से ये सीधे लाभार्थी के मोबाइल पर भेजा जाएगा और चूंकि ये एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल पेमेंट माध्यम है, इसलिये इस ई-वाउचर के जरिए लाभार्थी तक उसके हक का पैसा सीधे पहुंचाया जाएगा.
ये किसी भी अन्य वाउचर की तरह ही काम करेगा, जैसे वाउचर से भुगतान के लिए कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप की जरूरत नहीं पड़ेगी, न ही ऑनलाइन बैकिंग की जरूरत होगी. ट्रांजेक्शन पूरा होने के बाद ही सर्विस प्रोवाइडर को पेमेंट होगी, जब तक वाउचर आपके फोन में है, वो आपका है, उसके लिए एक तय अवधि होगी, जिसके अंदर आपको वाउचर का इस्तेमाल करना होगा. ये एक तरह से एक प्री-पेड रकम है और बिना किसी मध्यस्थ के पेमेंट न होने से सर्विस प्रोवाइडर को भी इसका फायदा मिलेगा. उसे ये शिकायत नहीं होगी कि उसने लाभार्थी को सेवा तो दे दी, लेकिन उसका पेमेंट होने में देरी हो रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स की वरिष्ठ संपादक दीपशिखा सिकरवार कहती हैं, “ये गवर्नेंस की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. क्योंकि अब जिनको सब्सिडी देना चाहते हैं, उन्हें कारगर तौर पर दे सकते हैं. इसमें कोई बिचौलिया नहीं होगा. डिजिटल माध्यम से ये पहुंचेगा और लाभार्थी इसका इस्तेमाल उसी काम के लिए कर पाएंगे जिसके लिए वह दिया गया है. मान लीजिए दवा के लिए सब्सिडी दी जा रही है, तो वो वाउचर दवा की दुकान पर ही रिडीम करवाया जा सकेगा.” इसके साथ उन्होंने बताया कि अगर हम राशन की दुकान पर जाते हैं और वहां का राशन ठीक नहीं है, तो इस वाउचर को लेकर दूसरी राशन की दुकान पर जाकर रिडीम करवा सकते हैं. यह भी पढ़ें :
किस तरह मिलेगा वाउचर?
इस सिस्टम को एनपीसीआई ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बनाया है और सभी बैंक ई-रूपी जारी करने वाले एंटिटी होंगे, मतलब बैंक इसे जारी करेंगे. किसी भी कॉरपोरेट या सरकारी एजेंसी को स्पेसिफिक पर्सन्स और किस उद्देश्य के साथ भुगतान किया जाना है, इसे लेकर सहयोगी सरकारी या निजी बैंक से संपर्क करना होगा. बेनेफिशरीज की पहचान मोबाइल नंबर के जरिए होगी और सर्विस प्रोवाइडर को बैंक एक वाउचर आवंटित करेगा जो किसी खास शख्स के नाम पर होगा जो सिर्फ उसी शख्स को डिलीवर हो सकेगा. वाउचर के कोड को लाभार्थी स्कैन करेंगे, वेरिफिकेशन के लिए लाभार्थी को एक कोड उसके नंबर पर भेजा जाएगा. वेरिफिकेशन हो जाने पर तुरंत भुगतान की पुष्टि होगी. एक और बात, इसका उपयोग केवल एक बार ही किया जा सकेगा.
कहां कर सकते हैं इस्तेमाल?
ई-रूपी भ्रष्टाचार मुक्त और लीक-प्रूफ डिलीवरी सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है. पीएम मोदी ने बताया कि इसका उपयोग अभी देश के हेल्थ सेक्टर में किया जाएगा. इसके साथ इसका उपयोग मातृ एवं बाल कल्याण योजनाओं के तहत दवा व न्यूट्रीशनल सपोर्ट उपलब्ध कराने वाली स्कीम्स, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत ड्रग्स व डायग्नॉस्टिक्स, फर्टिलाइजर सब्सिडी आदि जैसी योजनाओं के तहत सेवाएं देने के लिए भी किया जा सकता है. इसके साथ निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का लाभ उठा सकेंगे.
बता दें, विश्व के कई अन्य देशों में इस वाउचर सिस्टम का उपयोग पहले से किया जा रहा है. अमेरिका, कोलंबिया, चिली, स्वीडन और हांगकांग जिसे देशों में भी एजुकेशन वाउचर्स या स्कूल वाउचर्स का एक सिस्टम है जिसके जरिए सरकार स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए भुगतान करती है. यह सब्सिडी सीधे माता-पिता को अपने बच्चों को शिक्षित कराने के विशेष उद्देश्य से दिया जाता है.