नई दिल्ली: देशभर में हड़ताल (Strike) और अन्य बैंक छुट्टियों (Bank Holidays) की वजह से बैंकों का कामकाज लगातार अगले चार दिनों तक बंद रह सकता हैं. बैंक यूनियनों ने बैंकों के निजीकरण का विरोध करने के लिए 15 मार्च से दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है. परिणामस्वरूप, लोगों को एटीएम से पैसे निकालने और बैंक से जुड़े अन्य लेनदेन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं. AIIMS Nurses Union Calls Off Strike: एम्स में नर्सों की हड़ताल खत्म, अस्पताल प्रशासन के साथ बैठक के बाद लिया फैसला
महीने का दूसरा शनिवार होने के चलते 13 मार्च को बैंक बंद रहेंगे, साथ ही रविवार को भी बैंकों का कामकाज छुट्टी के चलते नहीं शुरू होगा. जबकि तकरीबन 10 लाख बैंक कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ 15 और 16 मार्च को हड़ताल करेंगे.
दो दिन की देशव्यापी बैंक हड़ताल के कारण भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का कामकाज 15 और 16 मार्च को प्रभावित होने की संभावना है. हालांकि देश के शीर्ष ऋणदाता ने अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन फिर भी संभावना है कि हड़ताल से बैंक में काम प्रभावित हो सकता है.
वहीं, केनरा बैंक (Canara Bank) ने कहा कि प्रस्तावित हड़ताल के दिन बैंक शाखाओं और कार्यालयों के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे है.
क्यों हो रही हैं बैंक स्ट्राइक?
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने बताया कि सरकारी बैंकों (Government Banks) के निजीकरण (Privatization) के प्रस्ताव के खिलाफ 15 मार्च और 16 मार्च को हड़ताल किया जाएगा. एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम के अनुसार "बैंक यूनियनों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के बीच 4, 9 और 10 मार्च को हुई सुलह बैठक विफल रही." यूनियनों ने कहा, "अगर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने पर सहमत हो जाती है तो वे अपनी हड़ताल पर पुनर्विचार करेंगे."
यूनाइटेड फ्रंट और बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) में आल इंडिया बैंक एम्पलायीज एसोसियेसन (एआईबीईए) आल इंडिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) नेशनल कन्फेडरेशन आफ बैंक एम्पलायीज (एनसीबीई) आल इंडिया बैंक आफीसर्स एसोसियेसन (एआईबीओए) और बैंक एम्पलायीज कन्फेडरेशन आफ इंडिया (बीईएफआई) शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने पेश आम बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है. सरकार ने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये बड़ी राशि जुटाने का प्रस्ताव किया है. सरकार इससे पहले आडीबीआई बैंक में अपनी अधिकांश की हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच चुकी है. पिछले चार साल में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय किया जा चुका है.