Indian Air Force Day 2022: जल, जमीन ही नहीं नभ में भी शक्तिशाली हैं हम!जानें भारत के किन-किन हथियारों से खौफजदा है दुनिया?

दुनिया भर में सैन्य शक्ति में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत का नंबर आता है. भारत में 14 लाख से ज्यादा सक्रिय सैनिक हैं. चीन भारत से भले पावर इंडेक्स में आगे हो, लेकिन कई मोर्चों में चीन भारत से काफी पीछे है. यह जान कोई भी भारतीय गौरवान्वित होगा कि भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पैरामिलिट्री है. भारतीय एयरफोर्स चौथी बड़ी शक्ति है. 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायुसेना की स्ट्रेंथ 25 जवानों (19 लड़ाकू पायलट्स समेत) की थी, आज भारतीय वायुसेना की स्ट्रेंथ तो बढ़ी है, तथा नई टेक्नॉलॉजी भी आई है. आज 1 लाख 70 हजार सहायकों और 1500 एयरक्राफ्ट के साथ इंडियन एयरफोर्स दुनिया की चौथी बड़ी एयरफोर्स है. अमेरिका, रूस एवं चीन के बाद भारत का नंबर है. हालांकि कुछ मामलों में चीन हमसे पीछे है. भारतीय वायुसेना दिवस (8 अक्टूबर) के अवसर पर आइये जानते हैं भारत की आकाशीय शक्ति की, जिसकी दहशत दुनिया भर में है...

फ्रांसीसी लड़ाकू विमानः राफेल

राफेल फ्रांस की विमानन कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित डबल इंजन वाला लड़ाकू विमान है. इस 15.27 मीटर लंबी फाइटर विमान में दो पायलट बैठ सकते हैं. यह करीब 60 हजार फीट ऊंचाई तक की उड़ान भर सकता है. लगभग 24 हजार 5 सौ किग्रा वजन के साथ यह 2200 से 2500 किमी प्रतिघंटे की उड़ान भरता है. इसकी मारक क्षमता 3700 किमी है. भारत में 2 फंक्शनल राफेल स्क्वाड्रन हैं. एक अंबाला में 117 'गोल्डन एरो' जो लद्दाख सेक्टर को कवर करता है, दूसरा 101 'फाल्कन' जो LAC के पूर्वी सेक्टर के बीच की विवादित सीमा पर नजर रखता है. इस लड़ाकू जेट में जमीनी, एवं समुद्री हमले, टोही, उच्चतम सटीक हमले और परमाणु हमला रोक सकता है. राफेल तमाम शक्तिशाली आयुधों मसलन SCALP एयर-टू-ग्राउंड लेजर-गाइडेड गोला-बारूद है, जो दुश्मन को 300 किमी से अधिक की दूरी से भेद सकता है, वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 32 राफेल लड़ाकू विमान हैं, 4 राफेल विमान इस वर्ष आने की संभावना है.

रूसी वायु रक्षा प्रणाली S-400

साल 2021 में भारत की सबसे बड़ी सैन्य खरीद रूस द्वारा आपूर्ति एस-400 वायु रक्षा मिसाइल थी, जिसका अमेरिका ने विरोध किया था. इसकी मारक क्षमता को देखते हुए इसे लद्दाख सेक्टर के सामने तैनात किया है. S-400 एक वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है, जो S-300 पी और एस-200 मॉडल का विकल्प है. भारत ने पिछले ही वर्ष S-400 का पहला स्क्वाड्रन प्राप्त किया था. S-400 एक बहु कार्यात्मक रडार, लक्ष्य भेदने की क्षमता रखता है. यह तीन प्रकार की मिसाइल छोड़ने की क्षमता रखता है. यह 30 किमी की ऊंचाई से 400 किमी तक की मारक क्षमता रखता है, तथा जमीन से हवा में मार करने वाली मीडियम मिसाइल 9M96E और 9M96E2 को भी फायर कर सकता है.

अमेरिकी एमक्यू-9 रीपर ड्रोन

फ्रेंच राफेल एवं रूसी S-400 के अलावा भारतीय शस्त्रागार में एक और खतरनाक MQ-9 रीपर ड्रोन शामिल हुआ है. MQ-9 रीपर दूर से नियंत्रित, संचालन एवं स्वायत्त उड़ानों में सक्षम है, इसे प्रीडेटर-B भी कहते हैं. यह शिकारी ड्रोन है, जो MQ-1 को सफल बनाता है, जिसे इंटेलिजेंस, टोही, और निगरानी के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह लंबी दूरी, उच्च ऊंचाई पर संचालन में पूर्णतः सक्षम है. यह एक टन से अधिक वजन वाले हथियार ले जा सकता है, एक ही उड़ान में 4 हेलफायर मिसाइल, और दो 227 किग्रा वाले बम ले जा सकता है. इस ड्रोन की मदद से भारत विदेशी दुश्मनों की निगरानी कर सकता है. इसे पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया है, जहां हमेशा घुसपैठ का माहौल रहता है. यह चीन के LAC के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में अनुचित तरीके से विस्तार करने वालों पर भी नजर रखेगा. यह भी पढ़ें : Indian Air Force Day 2022: विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बनीं भारतीय वायुसेना! जानें इस दिवस का इतिहास, उद्देश्य और क्षमता

तेजसः स्वदेशी लाइट लड़ाकू विमान

आज स्वदेशी तेजस दक्षिण-एशियाई देशों की पहली पसंद है. तेजस दुश्मन के रडारों को चकमा देते हुए उनके विमानों को भेद सकता सकता है. सुखोई से कम वजन का होने के बावजूद उसके जितना ही हथियार और मिसाइल लेकर उड़ान भरता है. तेजस 52 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ते हुए हवा में ईंधन भर सकता है. एक साथ नौ हथियारों से फायर कर सकता है. इस पर एंटी शिप मिसाइल, बम और रॉकेट आदि फिट हो सकते हैं. तेजस हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से पानी में मिसाइल दाग सकता है, नौसेना के विमानवाहक पोत से टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है. कम ऊंचाई से उड़ान भरकर शत्रु पर हमला कर सकता है. यह लेजर गाइडेड मिसाइल से आक्रमण कर सकता है. इसकी खासियत यह है कि जैमर प्रोटेक्शन तकनीक से लैस होने से यह दुश्मन की आंखों में धूल झोंक सकता है.

ER-ASR: समुद्र को भेदने की शक्ति

समुद्र की गहराइयों में दुश्मन को जल-समाधि दिलाने के लिए डीआरडीओ ने एक्सटेंडेड रेंज, एंटी सबमरीन रॉकेट तैयार किया है. यह समुद्र के भीतर 8 किमी गहराई में मौजूद दुश्मन पनडुब्बी और दूसरे युद्धपोत को बर्बाद कर सकता है.

ATAGS: 15 सेकंड में तीन राउंड फायरिंग

एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम 155 MM अत्याधुनिक आर्टिलरी बंदूक है. 48 किमी दूर तक मार सकती है. रात में भी कारगर ब्रस्ट मोड में 15 सेकंड में तीन राउंड फायर कर सकता है. इसे चलाने के लिए 6 से 8 सैनिकों पर्याप्त होंगे.

प्रीफ्रैग्मेंटेड: 500 किलो के बम से तबाही

डीआरडीओ एवं आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (ARDE) द्वारा तैयार 500 किलोग्राम वजन वाला यह बम रूस और जगुआर एयरक्राफ्ट से आसानी से छोड़ा जा सकता है. यह जहां भी यह फटेगा, वहां कुछ नहीं बचेगा. इससे ‘बॉडी बम’ से खड़े एयरक्राफ्ट, लड़ाकू वाहन और सैन्य कैंप को नष्ट किया जा सकता है.

कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम: छिपे दुश्मनों पर हमला

कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम (CSWS) से छिपे हुए दुश्मन के बिना सामने गए उसका अंत किया जा सकता है. दुश्मनों के साथ मुठभेड़ के समय इसे रात या दिन कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें अत्याधुनिक कैमरा, न दिखने वाला लेजर, लेजर से निशाना लगाने वाला यंत्र, कलर एलसीडी मॉनिटर और दुश्मन को चकमा देने वाली फ्लैशलाइट लगी है.