फिर चांद छूने की कोशिश करेगा भारत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

शुक्रवार को भारत एक बार फिर चांद पर उतरने के लिए मानव-रहित मिशन भेजेगा. चार साल पहले नाकाम रहने के बाद भारत ने पहले से भी कम कीमत में नया अभियान तैयार कर लिया है.शुक्रवार को भारत का नया चंद्रयान मिशन अंतरिक्ष की ओर रवाना किया जाएगा. अगर यह अभियान सफल रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला भारत मात्र चौथा देश होगा. चार साल पहले ऐसी एक कोशिश तब नाकाम हो गयी थी जब चांद की सतह पर उतरने से कुछ ही पल पहले चंद्रयान-2 से वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया था.

इस बार हालात अलग हैं और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों के उत्साह में कोई कमी नहीं है. बल्कि वे इसके सफल होने की पूरी उम्मीद के साथ भविष्य में मानव मिशन भेजने की महत्वाकांक्षा को भी जिंदा रखे हुए हैं. इसरो के लिए इंजन और अन्य उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनी गोदरेज एंड बॉयस के अनिल जी वर्मा कहते हैं, "हमें यकीन है कि इस बार सफलता मिलेगी और इसके लिए काम करने वाले हर व्यक्ति को गर्व और सम्मान का अनुभव होगा.”

पहले से भी कम लागत

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 14 दिन का यह अभियान 746 करोड़ डॉलर की लागत से तैयार हुआ है और चंद्रमा की सतह पर एक लैंड रोवर उतारने का लक्ष्य रखता है. शुक्रवार को चेन्नई के सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर बाद करीब 2.35 पर चंद्रयान को छोड़ा जाएगा और ऐसी संभावना है कि इस प्रक्षेपण को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा होंगे. पिछले चंद्रयान मिशन के दौरान इसरो के प्रमुख रहे के सिवान ने कहा, "मैं बहुत खुश और आशान्वित हूं.”

भारत सरकार ने बताया कि चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर के साथ क्या हुआ

भारत ने 2008 में पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एक खोजी यान भेजा था. तब से उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम का आकार और सक्रियता कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है. 2014 में वह मंगल की कक्षा में यान भेजने वाला पहला एशियाई देश बना था. उसके तीन साल बाद उसने एक ही मिशन में 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने का रिकॉर्ड भी बनाया था.

कई अभियान तैयार

एक नये अभियान गगनयान के तहत अगले साल भारत पृथ्वी की कक्षा में मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है. इस अभियान में अंतरिक्ष यात्री तीन दिन पृथ्वी की कक्षा में रहेंगे. इसके अलावा भारत व्यवसायिक अंतरिक्ष उद्योग में अपनी हिस्सेदारी दो फीसदी से बढ़ाने की भी कोशिश कर रहा है. इसके लिए उसका सबसे बड़ा हथियार अन्य प्रतिद्वन्द्वियों के मुकाबले बेहद कम कीमत पर निजी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में भेजना है.

2019 में भारत ने जो चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरने के लिए भेजा था, उसकी लागत करीब 140 करोड़ डॉलर थी. हालांकि वह भी अन्य देशों के अभियानों से बेहद कम थी. लेकिन चांद की सतह से मात्र 2.1 एक किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच कर उसका संपर्क टूट गया था.

जब चंद्रयान-2 चांद पर उतरने वाला था, तब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो में मौजूद थे और अभियान की विफलता पर उन्होंने कहा था कि देश को इस कोशिश से जुड़े वैज्ञानिकों पर गर्व है. तब उन्होंने कहा था, "हजारों साल के हमारे गौरवशाली इतिहास में ऐसे बहुत से पल आए हैं जब हमारी गति धीमी हुई लेकिन इससे हमारा साहस कम नहीं हुआ. हम फिर लौटेंगे. हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का सर्वश्रेष्ठ समय अभी आना बाकी है.”

वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)