नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और नाटो (NATO) के बीच बयानबाजी ने नया मोड़ ले लिया है. नाटो प्रमुख मार्क रुटे (Mark Rutte) के उस दावे पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को फोन कर यूक्रेन युद्ध की रणनीति पर सवाल किए. विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस बयान को पूरी तरह "गलत, तथ्यहीन और अस्वीकार्य" करार दिया है.
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NATO प्रमुख ने क्या कहा था?
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान CNN से बातचीत में नाटो प्रमुख मार्क रुटे ने कहा था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ की वजह से भारत आर्थिक दबाव महसूस कर रहा है. उनका दावा था कि इस कारण पीएम मोदी ने पुतिन से यूक्रेन युद्ध की रणनीति को लेकर बातचीत की.
भारत ने क्यों जताई नाराजगी?
विदेश मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए साफ किया कि ऐसी कोई बातचीत कभी हुई ही नहीं. मंत्रालय ने कहा कि नाटो जैसी अहम संस्था के प्रमुख से उम्मीद की जाती है कि वे सार्वजनिक मंच पर जिम्मेदारी से बयान दें. "ऐसे बयान न केवल गलतफहमी फैलाते हैं, बल्कि भारत की कूटनीतिक स्थिति को भी गलत तरीके से पेश करते हैं."
भारत की ऊर्जा नीति पर दोहराया रुख
भारत ने एक बार फिर साफ किया कि रूस से कच्चा तेल आयात करना भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है. सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा करना उसकी प्राथमिकता है.
अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ और रूस से आयातित तेल पर अतिरिक्त 25% पेनल्टी लगाई थी. US का कहना है कि भारत द्वारा रूस से ऊर्जा खरीदना यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड करता है.
भारत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब यूरोपीय संघ और नाटो देश अभी भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, तो भारत पर दबाव डालना अनुचित और दोहरे मापदंड है.













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