Bengaluru School Fees: 3rd क्लास के बच्चे की 2.10 लाख रूपए फ़ीस, देखकर लोग हुए हैरान, बेंगलुरु की स्कूल की मनमानी लुट से हैरान हुए लोग
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Bengaluru School Fees: प्राइवेट स्कूलों की फ़ीस लाखों में है. कर्नाटक के बेंगलुरु से सोशल मीडिया पर एक प्राइवेट स्कूल का फीस का स्ट्रक्चर सामने आया है. जिसको देखकर लोग हैरान हो गए है.तीसरी क्लास में पढ़ने वाले एक बच्चे की फीस 2.10 लाख रुपये है. बेंगलुरु का ये एक स्कूल का फ़ीस स्ट्रक्चर इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.मनमानी फ़ीस वसूलने वाले स्कूलों को लेकर अभिभावकों में हमेशा नाराजगी रहती है.

पिछले कुछ वर्षों में स्कूल फीस में वृद्धि के कारण नागरिकों और अभिभावकों को परेशानी हो रही है. अब सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है. जिसमें तीसरी क्लास में पढ़नेवाले छात्र की फीस लगभग 2.10 लाख रुपये है. व्हाइस ऑफ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने यह पोस्ट किया है, जिससे पता चलता है कि कौन किस तरह की फीस लेता है. इसमें ट्यूशन फीस 1.9 लाख रुपये है. 9 हजार रुपये सालाना फीस और 11,449 रुपये इम्प्रेस्ट मनी के रूप में लिया जा रहा है.ये भी पढ़े:School Fees Increased in Hyderabad: हैदराबाद के स्कूल में LKG के लिए 3.7 लाख रुपए फीस, परिजनों ने जताई चिंता

तीसरी क्लास की फ़ीस 2.10 लाख रूपए 

सोशल मीडिया पर लोगों ने जताई नाराजगी

व्हाइस ऑफ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने पोस्ट करते हुए कैप्शन में सच्चाई बताई.बेंगलुरु में तीसरी क्लास के छात्रों की सालाना फीस 2 लाख 10 हजार रुपये है. किसी भी तरह का इन्फ्लेशन की कोई भी मात्रा इसे उचित नहीं ठहरा सकती.सरकार इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण रखती है, लेकिन स्कूल फीस के मुद्दे से बच रही है.पोस्ट में कहा गया है कि स्कूल बिजनेस जैसा कोई बिजनेस नहीं है. इसके बाद अभिभावकों का गुस्सा सोशल मीडिया पर देखने को मिला.

स्कूल है या बिज़नस

व्हाइस ऑफ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्राइवेट स्कूलों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप है कि प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा का बिज़नस शुरू कर दिया है.अनुच्छेद 29, 30 और 19(1)(जी) में कहा गया है कि स्कूलों को संस्थान स्थापित करने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें लाभ कमाना चाहिए, ऐसा कहा गया है. इस दौरान मांग की गई है कि इस मुद्दे से भागने से बेहतर सरकार को सख्त नियम लागू करने चाहिए. पोस्ट में ये भी कहा गया है कि कोई भी स्कूल नियमों का पालन नहीं कर रही है. भ्रष्टाचार के कारण स्कूलों की व्यवस्थित रूप से देखरेख हो रही है.