IIT गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं ने लैब में बनाया खाने योग्य मांस

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी में अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मांस तैयार किया है जो कि पोषक होने के साथ ही क्रूरता मुक्त भोजन की दिशा में एक कदम होगा.

देश Bhasha|
IIT गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं ने लैब में बनाया खाने योग्य मांस
मांस का टुकड़ा (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी में अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मांस तैयार किया है जो कि पोषक होने के साथ ही क्रूरता मुक्त भोजन की दिशा में एक कदम होगा. आईआईटी गुवाहाटी के डा. बिमान बी. मंडल ने कहा कि प्रयोगशाला में विकसित मांस क्रूरता मुक्त भोजन की दिशा में एक नयी संभावना खोलेगा, साथ ही पर्यावरण एवं पशुओं को भी बचाएगा.

उन्होंने बताया कि बायोमैटेरियल्स एंड टिश्यू इंजीनियरिंग लैबोरेटरी में अनुसंधानकर्ताओं ने मांस के उत्पादन के लिए एक नवीन तकनीक विकसित की है और उत्पादन के लिए पेटेंट कराया है जो कि पूरी तरह से प्राकृतिक है.

मंडल ने कहा, ‘‘तैयार मांस उत्पाद का स्वाद कच्चे मांस जैसा ही रहेगा लेकिन इसमें उपभोक्ता की जरुरतों के मुताबिक पोषक तत्व होंगे. इसे तैयार करने के दौरान बाहरी रसायन जैसे हार्मोन, पशु सेरम, एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल वर्जित किया गया है, इसलिए यह मानकों के हिसाब से सुरक्षित है.’’

उन्होंने कहा कि जनसंख्या में तेज वृद्धि के चलते मांस उद्योग खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी दवाब का सामना कर रहा है. यह भी पढ़े- कहीं आपको मटन

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IIT गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं ने लैब में बनाया खाने योग्य मांस

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी में अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मांस तैयार किया है जो कि पोषक होने के साथ ही क्रूरता मुक्त भोजन की दिशा में एक कदम होगा.

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IIT गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं ने लैब में बनाया खाने योग्य मांस
मांस का टुकड़ा (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी में अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मांस तैयार किया है जो कि पोषक होने के साथ ही क्रूरता मुक्त भोजन की दिशा में एक कदम होगा. आईआईटी गुवाहाटी के डा. बिमान बी. मंडल ने कहा कि प्रयोगशाला में विकसित मांस क्रूरता मुक्त भोजन की दिशा में एक नयी संभावना खोलेगा, साथ ही पर्यावरण एवं पशुओं को भी बचाएगा.

उन्होंने बताया कि बायोमैटेरियल्स एंड टिश्यू इंजीनियरिंग लैबोरेटरी में अनुसंधानकर्ताओं ने मांस के उत्पादन के लिए एक नवीन तकनीक विकसित की है और उत्पादन के लिए पेटेंट कराया है जो कि पूरी तरह से प्राकृतिक है.

मंडल ने कहा, ‘‘तैयार मांस उत्पाद का स्वाद कच्चे मांस जैसा ही रहेगा लेकिन इसमें उपभोक्ता की जरुरतों के मुताबिक पोषक तत्व होंगे. इसे तैयार करने के दौरान बाहरी रसायन जैसे हार्मोन, पशु सेरम, एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल वर्जित किया गया है, इसलिए यह मानकों के हिसाब से सुरक्षित है.’’

उन्होंने कहा कि जनसंख्या में तेज वृद्धि के चलते मांस उद्योग खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी दवाब का सामना कर रहा है. यह भी पढ़े- कहीं आपको मटन के नाम पर कुत्तों का मांस तो नही परोसा जा रहा? हुआ खुलासा

मंडल ने संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि 2050 तक वर्तमान मांस उद्योग वैश्चिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएगा.

उन्होंने कहा कि एक किलोग्राम चिकन मांस का उत्पादन करने के लिए लगभग 4,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और एक किलोग्राम मटन का उत्पादन करने के लिए 8,000 लीटर से अधिक पानी की आवश्यकता होती है.

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