हैदराबाद (Hyderabad) में महिला डॉक्टर से गैंगरेप और हत्या की घटना से देश स्तब्ध है. इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना को लेकर जनता में आक्रोश है, हर कोई घटना पर अपनी आवाज उठा रहा है. लेकिन इस बीच एक और शर्मनाक खबर सामने आ रही है. सोशल मीडिया पर हैदराबाद बलात्कार और हत्या पीड़िता के लिए जरुर न्याय की मांग उठ रही है, लेकिन इसके विपरीत पीड़िता का नाम जिस जगह ट्रेंड कर रहा है वह समाज के लोगों की भयावह मानसिकता को दर्शाती है. दरअसल हैदराबाद बलात्कार और हत्या पीड़िता का नाम विभिन्न पोर्न साइट्स पर ट्रेंड हो रहा है. हैदराबाद पीड़िता का नाम भारत और पाकिस्तान में पोर्न साइट्स पर सबसे अधिक सर्च किया गया.
ट्विटर पर कुछ यूजर्स ने इससे जुड़े स्क्रीनशॉट्स भी डाले. जिन पर साफ दिख रहा है कि पोर्न साइट्स पर क्या ट्रेंड कर रहा है. हैदराबाद की घटना से मानवता शर्मसार हुई है, लेकिन इस घटना के बाद पोर्न साइट्स पर भी इतना ही घिनौना काम लोग कर रहे हैं. ट्विटर यूजर्स ने पोर्न साइट्स से हैदराबाद पीड़िता का नाम ट्रेंडस और साइट्स से हटाने की मांग की. यूजर्स ने ऐसे लोगों की कड़ी निंदा करते हुए कहा, यह मानवता पर एक धब्बा है. यूजर्स ने अपील की, पीड़िता का नाम तुरंत हटाया जाए.
पोर्न वेबसाइट्स पर पीड़िता का नाम-
पीड़िता की पहचान उजागर करना अपराध
एक तरफ इस तरह के मामलों में जहां पीड़िता की पहचान को गुप्त रखा जाता है तो वहीं पीड़िता के नाम पर लोग पोर्न विडियोज सर्च कर रहे हैं. यह बेहद शर्मनाक और घिनौना है. देशभर के लोगों ने हैदराबाद पीड़िता का नाम घटना पर रोष व्यक्त करने के लिए किया. सभी सोशल मीडिया साइट्स पर पीड़िता का नाम और तस्वीरें ट्रेंड हुई. कहने को तो लोग घटना पर अपना दुःख व्यक्त कर रहे थे लेकिन इन सब के कारण पीड़िता की निजता और गरीमा को ठेस पहुंची. यह सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2018 के उस फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, बलात्कार और यौन हिंसा पीड़ितों के नाम और पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए.
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पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध
भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार, बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध है. IPC की धारा 228A के अनुसार ऐसे मामलों में दो साल तक की सजा का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ऐसे मामलों में जहां रेप पीड़िता मृत है या जीवित है, वह चाहे नाबालिग या विक्षिप्त हो तो भी उसकी पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, उनका भी निजता का अधिकार है, नाबालिग आगे चलकर वयस्क होगी. यह कलंक जीवन भर उसके साथ क्यों रहना चाहिए.
साल 2018 में कठुआ गैंगरेप पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को नोटिस जारी किए थे. इस मामले में आईपीसी की धारा 228 A के तहत सोशल मीडिया वेबसाइटों के खिलाफ कानूनी केस दर्ज किया गया था.