रांची, 1 अक्टूबर : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 अक्टूबर को प्रस्तावित झारखंड दौरे के ठीक पहले केंद्र पर राज्य के 1.36 लाख करोड़ के बकाये का मुद्दा उठाया. सोरेन ने कहा है कि यह पैसा केंद्रीय कोल कंपनियों के पास है. यह राशि नहीं मिलने से झारखंड के विकास में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, "ये हक समस्त झारखंडियों का है. यह हमारी मेहनत, हमारी जमीन का पैसा है. इसे मांगने के कारण ही मुझे बिना किसी कारण जेल में डाला गया. कल जब प्रधानमंत्री झारखंड में होंगे, तो मुझे पूर्ण आशा है कि वे हमारा हक हमें लौटायेंगे."
हेमंत सोरेन की ओर से इस मुद्दे पर मंगलवार को विभिन्न मीडिया माध्यमों में "माननीय प्रधानमंत्री जी को खुला पत्र" शीर्षक से इश्तेहार भी जारी किया गया. सीएम ने कोयला कंपनियों पर बकाया राशि की दावेदारी का ब्रेकअप भी दिया है. उन्होंने लिखा है कि वाश्ड कोल की रॉयल्टी के मद में 2,900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी की सीमा के उल्लंघन के एवज में 32 हजार करोड़, भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में 41,142 करोड़ और इस पर सूद की रकम के तौर पर 60 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं. यह भी पढ़ें " देश की खबरें | झांसी के पास केरल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बची; टूटी पटरी से गुजरे तीन डिब्बे
मुख्यमंत्री ने हाल में खनन एवं रॉयल्टी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की फुल बेंच की ओर से सुनाए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के पक्ष में फैसला दिया है. न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि खनन और रॉयल्टी शुल्क वसूलने का अधिकार राज्य को है.
उन्होंने कहा है कि इस बकाया का भुगतान नहीं होने से झारखंड राज्य को अपूरणीय क्षति हो रही है. शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी जैसी विभिन्न सामाजिक योजनाएं फंड की कमी के कारण जमीन पर उतारने में दिक्कत आ रही है. उन्होंने पीएम से अपील की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें और कोयला कंपनियों को बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दें.