VIDEO: 1947 के बंटवारे ने किया अलग, 74 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मिला बिछड़ा परिवार, आखें हुई नम
करतारपुर कॉरिडोर (Photo Credit : Twitter)

Re-Union of Divided Families, पंजाब, 19 फरवरी: ईसाई मिठू परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्यों के लिए यह एक बहुत ही भावनात्मक क्षण था, जो 1947 के भारत विभाजन के दौरान अशांत दिनों के दौरान अलग हो गया था, जब वे करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब (Kartarpur Corridor) में मिले थे. पाकिस्तानी (Pakistan) अखबार डॉन (Don) के मुताबिक करतारपुर कॉरिडोर ने परिवार की दो शाखाओं को 74 साल बाद फिर से मिलने का अवसर प्रदान किया है. दोनों परिवारों को एक पंजाबी समाचार चैनल के माध्यम से एक-दूसरे के बारे में पता चला था. केरल के इस 60 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर को फोटोग्राफर ने बनाया मॉडल, वायरल हुआ वीडियो

ननकाना (Nankana) जिले के मनानावाला निवासी शाहिद रफीक मिठू अपने परिवार के 40 सदस्यों के साथ करतारपुर पहुंचे, जबकि पंजाब में अमृतसर जिले की अजनाला तहसील के गांव शाहपुर डोगराण निवासी सोनो मिठू शुक्रवार को करतारपुर होते हुए गुरुद्वारे पहुंचे. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके परिवार के आठ सदस्यों के साथ गलियारा पूर्व से मिलने जाएगा.

परिवार के सदस्य इतने अभिभूत थे कि वे एक-दूसरे को गले लगाकर रोने लगे (Emotional Moment) शाहिद रफीक मिठू ने कहा कि उनके बड़े इकबाल मसीह 1947 में विभाजन के दौरान अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे, जबकि उनका (इकबाल का) भाई इनायत की इस हंगामे के दौरान बिछड़ गया था और पंजाब में छूट गया था.

शाहिद मिठू ने कहा, "लगभग एक साल पहले मेरा साक्षात्कार एक पंजाबी समाचार चैनल द्वारा प्रसारित किया गया था, जिसमें मैंने विभाजन के दौरान अपने बुजुर्गों के अलग होने के बारे में बात की थी, जिसे पंजाब में हमारे रिश्तेदारों ने देखा था, जिन्होंने हमसे संपर्क किया और हमने करतारपुर में पुनर्मिलन की योजना बनाई. खेद व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों बड़ों - इकबाल और इनायत - की मृत्यु हो गई थी."

सोनो मिठू ने कहा, "मैं करतारपुर में शाहिद रफीक मिठू और 35 अन्य रिश्तेदारों से मिलकर बहुत खुश हूं."

फिर से मिले रिश्तेदारों ने दिल खोलकर बातचीत की और एक-दूसरे के साथ अपने दिवंगत बुजुर्गों की कहानियां और यादें साझा कीं. इस मौके पर करतारपुर प्रशासन ने दोनों परिवारों को मिठाई परोसी गई.

बाद में, परिवार के सदस्यों ने गुरुद्वारा दरबार साहिब के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया और बाबा गुरु नानक लंगर हॉल में एक साथ दोपहर का भोजन किया. वे खरीदारी के लिए एक स्थानीय बाजार भी गए और बातचीत करते रहे.

उन्होंने फिर से मिलने की योजना बनाई और सोनो के परिवार को उनके रिश्तेदार ने यहां गुरुद्वारे की अगली यात्रा के दौरान और सदस्यों को लाने के लिए कहा है.