अहमदाबाद: गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ से हालात गंभीर हो गए हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुजरात के कुछ हिस्सों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. IMD ने भरूच और वलसाड जैसे इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग ने 4-7 सितंबर के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में बारिश का अलर्ट जारी किया है. 25 अगस्त से अब तक जारी इस बारिश और बाढ़ ने राज्य के 25 जिलों में कम से कम 40 लोगों की जान ले ली है और 55,000 से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया है.
मंगलवार को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक भरूच के वालिया में सबसे ज्यादा 156 मिमी बारिश दर्ज की गई. इसके बाद नेट्रांग में 127 मिमी, सूरत के उमरपाड़ा में 105 मिमी, वलसाड में 104 मिमी, और मेहसाणा के जोताना में 95 मिमी बारिश हुई.
IMD ने अनुमान लगाया है कि राज्य में भारी से हल्की बारिश का सिलसिला सप्ताहांत तक जारी रहेगा. राज्य के 15,000 से अधिक गांवों में बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. चक्रवात असना ने गुजरात में बाढ़ की स्थिति को और गंभीर कर दिया है.
IIT गांधीनगर की रिसर्च का खुलासा
हाल ही में गुजरात में आई बाढ़ ने राज्य के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई, और इसका कारण सिर्फ भारी बारिश नहीं थी. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (IIT-GN) के शोधकर्ताओं की एक नई रिसर्च ने बताया है कि इस बाढ़ के पीछे गंभीर मौसमीय परिस्थितियों के साथ-साथ शहरी विकास और खराब जल निकासी व्यवस्था का भी बड़ा हाथ है.
बाढ़ के पीछे की वजहें
20 से 29 अगस्त के बीच गुजरात में भारी बारिश हुई, जिससे राज्य के 33 जिलों में से 15 जिलों में तीन दिनों की बारिश का स्तर पिछले 10 वर्षों की तुलना में अधिक था. इस दौरान गुजरात के कई हिस्सों में बाढ़ आ गई, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. हालांकि, IIT गांधीनगर की 'मशीन इंटेलिजेंस एंड रेजिलिएंस लैबोरेटरी' (MIR Lab) द्वारा किए गए एनालिसिस से पता चला है कि इस बाढ़ की तबाही केवल बारिश के कारण नहीं हुई, बल्कि इसमें अन्य कारक भी शामिल हैं.
रिसर्च में यह खुलासा हुआ कि वडोदरा जैसे शहरों में भारी बाढ़ की स्थिति इसलिए भी बदतर हो गई क्योंकि वहां का शहरी विकास बाढ़ संभावित क्षेत्रों में हुआ था. इसके साथ ही, भूमि की ऊंचाई में परिवर्तन और तेजी से शहरीकरण ने भी बाढ़ की स्थिति को और गंभीर बना दिया. इसके अलावा, जल निकासी प्रणालियों में अवरोधों के कारण पानी का सही ढंग से बहाव नहीं हो पाया, जिससे जलभराव की स्थिति पैदा हो गई.