नई दिल्ली, 20 नवंबर : अगले दो वर्षों में स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) क्षमता में विस्तार 35 गीगावाट से अधिक हो सकता है. इसकी वजह 100 गीगावाट से अधिक के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में होना है. यह जानकारी बुधवार को जारी हुई केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में दी गई. रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले 12 महीनों में रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) में तेज वृद्धि कॉरपोरेट्स के बढ़ते ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) फोकस, निवेशकों की बढ़ती रुचि, नीतियों से समर्थन और फाइनेंसिंग की बढ़ी हुई उपलब्धता का परिणाम है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वित्त वर्ष 2024 में 18.5 गीगावाट की आरई क्षमता स्थापित की, जो पिछले वित्त वर्ष में जोड़ी गई क्षमता से 21 प्रतिशत अधिक है. केयरएज रेटिंग्स के मुताबिक, बढ़ती ऊर्जा मांग के कारण सौर उपकरण सेक्टर में अगले तीन से पांच वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का पूंजीगत खर्च होगा. इसमें से 70,000 करोड़ रुपये डेट फंडिंग से आने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सेल के लिए 50 गीगावाट और मॉड्यूल के लिए 80 गीगावाट की आगामी क्षमता के लिए क्रमशः 32,000 करोड़ रुपये और 12,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की आवश्यकता है. पिछले 7-8 वर्षों में सौर ऊर्जा सेगमेंट, आरई क्षेत्र में क्षमता वृद्धि का प्रमुख चालक बना रहा है. सितंबर 2024 तक आरई क्षमता मिश्रण में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 59 प्रतिशत हो गई, जो कि मार्च 2016 तक 15 प्रतिशत थी. यह भी पढ़ें : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के डिजिटलीकरण से 5.8 करोड़ फर्जी राशन कार्ड हटाये गये: सरकार
भारत के पास मार्च 2024 तक लगभग 70 गीगावाट की मॉड्यूल क्षमता और लगभग 8 गीगावाट सेल क्षमता है, जबकि पिछले दो वर्षों में डायरेक्ट करंट (डीसी) के आधार पर सौर क्षमता में लगभग 21 गीगावाट की औसत वार्षिक वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम अवधि में सौर क्षमता में वृद्धि नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से 50 गीगावाट आरई क्षमता के वार्षिक निविदा लक्ष्य से प्रेरित होगी, जिनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा होने की उम्मीद हैं.