Google सेलिब्रेट कर रहा है लुसी विल्स का 131वां जन्मदिन, बनाया ये खास Doodle
सर्च इंजन गूगल मशहूर हेमेटोलॉजिस्ट लुसी विल्स का 131वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहा है. इस मौके पर गूगल ने एक खास डूडल बनाया है. गूगल ने इस खास डूडल को लुसी विल्स के जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्यों को समर्पित किया है.
Google Doodle: सर्च इंजन गूगल (Google) मशहूर हेमेटोलॉजिस्ट (Hematologist lucy Wills') लुसी विल्स का 131वां जन्मदिन (131th Birthday) सेलिब्रेट कर रहा है. इस मौके पर गूगल ने एक खास डूडल (Google Doodle) बनाया है. गूगल ने इस खास डूडल को लुसी विल्स के जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्यों को समर्पित किया है. गूगल ने जो खास डूडल बनाया है उसमें लुसी विल्स को एक प्रयोगशाला में दिखाया गया है. जहां उनकी मेज पर ब्रेड के कुछ टुकड़े और चाय का एक कप भी दिखाई दे रहा है. उन्हें प्रसव पूर्व महिलाओं में होनेवाले एनीमिया के रोकथाम को लेकर रिसर्च करने के लिए याद किया जाता है.
लुसी विल्स का जन्म 10 मई 1988 को यूनाइटेड किंग्डम (United Kingdom) में बर्मिंघम (Birmingham) के पास सटन कोल्डफील्ड (Sutton Cold field) में हुआ था. विल्स के पिता ओवेन्स कॉलेज मैनचेस्टर (Owens College Manchester) में साइंस ग्रेजुएट थे. साल 1911 में लुसी विल्स ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के न्यूहैम कॉलेज (Cambridge University's Newnham College) में वनस्पति विज्ञान और भूविज्ञान (botany and geology) में पहला सम्मान अर्जित किया था.
बताया जाता है कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में नर्स के रूप में काम करने के कार्यकाल के दौरान उन्हें चिकित्सा में करियर बनाने के लिए प्रेरणा मिली. इसके बाद वो लंदन लौटीं और लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वुमन में दाखिला लिया और 1920 में अपनी मेडिकल की डिग्री हासिल की. यह भी पढ़ें: Google Doodle Earth Day 2019: गूगल ने पृथ्वी दिवस पर बनाया विशेष एनिमेटिड डूडल, 'सबसे लंबे पेड़' से लेकर 'छोटे मेंढक' तक कई अन्य चीजों की दी जानकारी
भारत में लुसी विल्स
बताया जाता है कि लुसी विल्स साल 1928 से 1933 के बीच भारत में थीं. उन्होंने अपना ज्यादातर समय बॉम्बे के हाफकीन इंस्टिट्यूट में बिताया. साल 1929 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच वे अपना काम Coonoor के Pasteur Institute of India में काम किया, फिर 1931 की शुरूआत में उन्होंने मद्रास में Caste and Gosha Hospital में काम किया.
साल 1930, 1931 और 1932 के हर गर्मियों में कुछ महीनों के लिए वो इंग्लैंड लौट जाया करती थीं और पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं में अपने काम को जारी रखती थीं. उन्होंने नवंबर 1937 से 1938 की शुरुआत तक हाफकिन इंस्टीट्यूट में 10 हफ्तों के लिए काम किया. इस दौरान वो पहली बार हवाई यात्रा करके कराची पहुंची थीं.