Global Teacher Award विजेता रणजीत सिंह डिसले कोरोना वायरस से संक्रमित
रणजीत सिंह डिसले (Photo Credits: Twitter)

मुंबई, 10 दिसंबर : प्रतिष्ठित ग्लोबल टीचर अवार्ड (Global teacher award) से हाल ही में सम्मानित किए गए महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षक रंजीतसिंह दिसले(Ranjit Singh Dislay) के कोरोना वायरस(Coronavirus) से संक्रमित होने की बुधवार को पुष्टि हुई. बुधवार रात उन्होंने ट्वीट  किया, “मैं और मेरी पत्नी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं. हम चिकित्सकीय परामर्श का पालन कर रहे हैं और घर पर पृथक-वास में हैं.” Global Teacher Award: अपने नाम का ऐलान होने पर महाराष्ट्र के प्राइमरी टीचर रणजीत सिंह डिसले कुछ इस तरह खुशी से उछल पड़े, देखें विडियो

देश में शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने का रणजीत सिंह डिसले का जज्बा ‘थ्री इडियट्स’ या ‘तारे जमीं पर’ के आमिर खान की याद दिलाता है और इसी जज्बे की वजह से 12,000 उम्मीदवारों के बीच उन्हें ‘ग्लोबल टीचर’ पुरस्कार मिला है जिसमें विजेता को सात करोड़ रुपये मिलते हैं. उनकी इस उपलब्धि ने भारत ही नहीं, बल्कि अभावों के बीच दुनिया में तालीम के बीज बो रहे असंख्य शिक्षकों को गौरवान्वित किया है.

माइक्रोसॉफ्ट के ‘ इनोवेटिव एजुकेटर एक्सपर्ट’ पुरस्कार और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के ‘ वर्ष 2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक’ पुरस्कार से लेकर ‘ग्लोबल टीचर’ पुरस्कार तक, ये सब डिसले की प्रतिभा और समर्पण की कहानी बयां करते हैं.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की माढा तालुका स्थित दो हजार से भी कम की आबादी वाले परीतेवाडी गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले डिसले का 12,000 उम्मीदवारों के बीच ‘ग्लोबल टीचर’ पुरस्कार जीतना न सिर्फ भारत के लिए गौरव की बात है, बल्कि दुनिया में अभावों के बीच शिक्षा के बीज बो रहे असंख्य शिक्षकों के लिए भी बड़े गौरव की बात है. डिसले को ‘ग्लोबल टीचर’ पुरस्कार के लिए चुने जाने की घोषणा लंदन में एक ऑनलाइन समारोह में अभिनेता स्टीफन फ्राई ने की थी.

पहली बार भारत के किसी शिक्षक को यह पुरस्कार मिला है. बड़ी बात यह है कि डिसले को विश्व के 140 देशों से 12 हजार से अधिक शिक्षकों में से चुना गया है. यूनेस्को और लंदन के वार्की फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार में उन्हें सात करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

डिसले ने हालांकि पुरस्कार का बड़ा हिस्सा बाकी दावेदारों के साथ बांटने की घोषणा की और यह भी कहा कि यह फैसला भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि सोच समझकर काफी पहले ही ले लिया था. उन्होंने बार्शी में अपने घर से से कहा ‘‘अगर मैं अकेले यह पुरस्कार ले लूं तो सही नहीं होगा क्योंकि सभी ने शानदार काम किया है. शिक्षक ‘इनकम’ के लिए नहीं ‘आउटकम’ के लिए काम करते हैं. हम सभी मिलकर समाज की दशा और दिशा बदल सकते हैं.’’