नई दिल्ली, 14 मई : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, मुकदमे को अंजाम तक पहुंचने में काफी वक्त लगेगा न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने गौतम नवलखा की जमानत पर लगी बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया.
हालांकि, पीठ ने साथ ही नवलखा को नजरबंदी के दौरान सुरक्षा पर हुए खर्च के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश भी दिया. सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की ओर से दी गई दलील पर ध्यान दिया. वह चार साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं और इस वजह से ट्रायल में काफी वक्त लगेगा. यह भी पढ़ें : Ramayana: नितेश तिवारी की ‘रामायण’ 835 करोड़ के बजट के साथ होगी तैयार, भगवान राम के किरदार में नजर आएंगे रणबीर कपूर!
पिछले साल दिसंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को जमानत दे दी थी. उन पर माओवादियों के साथ कथित संबंध का आरोप है. वो 14 अप्रैल 2020 से हिरासत में हैं. 73 वर्षीय गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए नवंबर 2022 से घर में नजरबंद कर दिया गया था.
दरअसल, नवलखा और अन्य लोगों को पुणे पुलिस और बाद में एनआईए ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था. दंगों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.