नई दिल्ली: पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि उनकी 12 में से 7 प्रयासों को नजरअंदाज किया जाए. उन्होंने अपने एक हलफनामे में अदालत से कहा कि उनकी शारीरिक अक्षमता के आधार पर केवल 'दिव्यांग' श्रेणी के प्रयासों को ही माना जाए.
दिव्यांग श्रेणी और शारीरिक अक्षमता
पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने अदालत को बताया कि उन्हें महाराष्ट्र के एक अस्पताल से "पुराना ACL (आन्टेरियर क्रूशियेट लिगामेंट) फाड़ और बाएं घुटने की अस्थिरता" का प्रमाण पत्र प्राप्त है. उनका दावा है कि उनकी शारीरिक अक्षमता 47 प्रतिशत है, जबकि सरकार का मानक 40 प्रतिशत है.
शारीरिक अक्षमता के आधार पर 'दिव्यांग' श्रेणी के तहत कुल प्रयासों की सीमा अधिक होती है. यदि कोर्ट उनके अनुरोध को स्वीकार करता है, तो उनके प्रयासों की संख्या घटकर 5 हो जाएगी, जिनमें से प्रत्येक प्रयास सफल था. यह संख्या सामान्य श्रेणी के मुकाबले 4 कम है और दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए अनुमत संख्या से एक कम है.
विवाद और आरोपी के आरोप
पूजा खेडकर ने हाल ही में सुर्खियां बटोरीं जब यह सामने आया कि उन्होंने शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं के बारे में झूठ बोला, नाम और उपनाम में बदलाव किया, और OBC प्रमाण पत्र की फर्जीवाड़ा की. जून में उनके द्वारा सरकारी सुविधाओं का गलत लाभ लेने के मामले उजागर हुए, जिसमें उनकी निजी गाड़ी पर 'महाराष्ट्र सरकार' का स्टीकर और सायरन शामिल था.
हाईकोर्ट की सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट में पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई जारी है, जिसमें उन्हें धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा सहित गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. 1 अगस्त को एक स्थानीय कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.
इस मामले ने नागरिक सेवाओं की प्रवेश परीक्षा और शारीरिक अक्षमता के प्रमाणपत्रों की प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी पर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और क्या पुजा खेड़कर को इस विवाद से राहत मिलती है.