
नई दिल्ली: 'India's Got Latent' विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने बुधवार को सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत भारतीय कानूनों और आचार संहिता के पालन पर जोर दिया गया है.
यह विवाद पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया द्वारा 'India's Got Latent' के एक एपिसोड में कथित रूप से की गई अश्लील टिप्पणी को लेकर शुरू हुआ. यह एपिसोड यूट्यूब पर प्रसारित किया गया था, जिसे बाद में सरकार ने हटाने का आदेश दिया.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अधिसूचना में क्या कहा गया?
मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा कि उसे "कुछ ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट (OTT प्लेटफॉर्म्स) और सोशल मीडिया के प्रकाशकों द्वारा प्रसारित किए जा रहे अश्लील, पोर्नोग्राफिक और अभद्र कंटेंट की शिकायतें मिली हैं."
"इस संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के भाग-III के तहत OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए एक आचार संहिता और तीन-स्तरीय संस्थागत तंत्र निर्धारित किया गया है, जो आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए है."
मंत्रालय के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म्स को ऐसा कोई कंटेंट प्रसारित नहीं करना चाहिए जो कानून द्वारा प्रतिबंधित हो. साथ ही, उन्हें आयु-आधारित वर्गीकरण लागू करना होगा. मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को 'A' रेटेड कंटेंट तक बच्चों की पहुंच रोकने के लिए एक्सेस कंट्रोल मैकेनिज्म अपनाना चाहिए और आवश्यक सतर्कता बरतनी चाहिए.
OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए, मंत्रालय ने अपने नोटिफिकेशन में कहा, "नियमों के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म्स की स्व-नियामक संस्थाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि प्लेटफॉर्म आचार संहिता का पालन करें."
अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया कि अश्लील या पोर्नोग्राफिक कंटेंट का प्रकाशन भारतीय कानूनों के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें अश्लील प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1986, भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023, POCSO अधिनियम, और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 शामिल हैं.
रणवीर अल्लाहबादिया पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूब पर अश्लील कंटेंट को रेगुलेट करने के सरकार के विचार पर सवाल किया. शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब अल्लाहबादिया ने अपने खिलाफ दर्ज सभी FIRs को एक साथ जोड़ने की याचिका दायर की थी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यदि सरकार यूट्यूब कंटेंट के लिए कोई नियामक योजना बना रही है तो वे इस फैसले से "बेहद खुश" होंगे. अदालत ने कहा- "यूट्यूबर्स नियमों की कमी का गलत फायदा उठा रहे हैं." हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर अल्लाहबादिया की गिरफ्तारी पर रोक लगाई, लेकिन साथ ही उसे कड़ी फटकार भी लगाई. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "अगर यह अश्लीलता नहीं है, तो फिर क्या है? उनके दिमाग में कुछ बहुत गंदा है, जो उन्होंने इस कार्यक्रम में उगला है. वह माता-पिता का भी अपमान कर रहे हैं. हम उनके पक्ष में क्यों जाएं?"
कोर्ट के निर्देश
- अल्लाहबादिया को पूरी जांच में सहयोग करना होगा.
- फिलहाल वह इस तरह के किसी अन्य शो में भाग नहीं ले सकते.
- उन्हें अपना पासपोर्ट पुलिस को सौंपना होगा और कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं होगी.
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब रणवीर अल्लाहबादिया, जो शो के एक जज थे, ने एक कंटेस्टेंट से पूछा:
"क्या आप अपने माता-पिता को पूरी जिंदगी सेक्स करते देखना चाहेंगे, या एक बार उसमें शामिल होकर इसे हमेशा के लिए रोकना चाहेंगे?"
इस सवाल पर समय रैना और अपूर्वा मुखीजा हंसते हुए नजर आए और शो के दौरान उन्होंने भी अभद्र भाषा का उपयोग किया. इस कंटेंट को लेकर सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिला और नेटिजन्स ने इसे ऑनलाइन अश्लीलता को बढ़ावा देने वाला बताया.
सरकार की इस एडवाइजरी के बाद OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए नियमों का पालन करना और भी जरूरी हो गया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पूरे मामले में आगे क्या कानूनी कार्रवाई होती है.