उत्तराखंड के उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत से लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे लोग डर के माहौल में जी रहे हैं. पहाड़ से पत्थरों के गिरने का सिलसिला रुक-रुक कर जारी है और पिछले 10 दिनों में यह तीसरी बार है जब वरुणावत पर्वत से भूस्खलन का खतरा पैदा हुआ है. इस स्थिति में वहां रहने वाले लोग हर पल भयभीत हैं.
2003 की तबाही और वरुणावत की संवेदनशीलता
साल 2003 में जब वरुणावत पर्वत से एक भयानक भूस्खलन हुआ था, तो करीब 70 हजार क्यूबिक मीटर मलबा शहर में फैल गया था. इस घटना के बाद, भूस्खलन क्षेत्र के उपचार के लिए तंबाखानी से गोफियारा तक के इलाके को संवेदनशील घोषित करते हुए बफर जोन घोषित किया गया. यहां किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन निगरानी के अभाव में बफर जोन में अनियमित निर्माण कार्य जारी रहा. आज इस क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो चुकी हैं.
गोफियारा क्षेत्र में खतरे की घंटी
गोफियारा क्षेत्र में निर्माण और अतिक्रमण बढ़ गया है, जो अब भूस्खलन के खतरे के दायरे में आ गया है. इस बार भूस्खलन के बाद जिला प्रशासन ने पहले से घोषित बफर जोन को गंभीरता से लेते हुए वहां रहने वाले परिवारों को दीर्घकालिक सुरक्षा के उपायों के तहत विस्थापित करने की योजना बनाई है.
पहले भी हो चुका है विस्थापन का विरोध
21 साल पहले जब वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ था, तब भी बफर जोन में रहने वाले परिवारों को हटाने की योजना बनाई गई थी. उस समय बने गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग आपदा पीड़ित समिति ने इसका विरोध किया था. लोगों ने कहा था कि यदि बफर जोन के नाम पर उन्हें हटाने का प्रयास किया गया, तो वे इसका विरोध करेंगे. हालांकि, उस समय के भूवैज्ञानिकों ने बफर जोन को बनाए रखने की सलाह दी थी.
अब भूस्खलन के दोबारा खतरे के चलते, जिला प्रशासन और भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है. यह देखा जाना बाकी है कि प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम भविष्य में इस संवेदनशील इलाके के निवासियों को किस हद तक सुरक्षा प्रदान कर पाते हैं.