Black Fungus: कोरोना की दूसरी लहर के बीच अब 'ब्लैक फंगस' की दवाइयों की जमाखोरी की आशंका
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)

Black Fungus Mucormycosis: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कोरोना संक्रमित ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मरीजों ने मुसीबतें बढ़ा दी हैं, वहीं दवाइयों की जमाखोरी और कालाबाजारी की आशंकाएं भी बढ़ने लगी हैं. सरकार ने ब्लैक फंगस के मरीजों को निशुल्क उपचार सुलभ कराने का वादा किया है. राज्य में बीते कुछ दिनों में ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आए हैं और कई ने तो दम ही तोड़ दिया है. यह मामले भोपाल, जबलपुर, इंदौर के अलावा कई हिस्सों में भी सामने आ रहे हैं. हाल तो यह है कि कई मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ी है.

राज्य में कोरोनावायरस के उपचार में जीवन रक्षक माना जाने वाला रेमडेसीविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की जमकर कालाबाजारी के मामले सामने आए हैं। इतना ही नहीं नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन भी बेचे गए हैं. कई लोगों पर सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही भी की है. नकली इंजेक्शन और चिकित्सकीय उपकरणों की जमाखोरी के मामले में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई लोगों के नाम भी सामने आए हैं. अब ब्लैक फंगस रोग पैर पसारने लगा है. यह रोग उन मरीजों को हो रहा है जो कोरोना संक्रमित रहे हैं और जो शुगर के भी मरीज हैं. यह भी पढ़ें: जानें, कैसे कोरोना के मरीजों में मिल रहे 'ब्लैक फंगस' संक्रमण का इलाज है संभव

सामाजिक कार्यकर्ता राजीव खरे ने बताया है कि उनके परिजन अमित श्रीवास्तव का जबलपुर के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है, वह ब्लैक फंगस पीड़ित है, मगर दवाओं की कमी आ रही है। इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है. वहीं मरीजों को दवाओं के संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है. कोरोना के मरीजों के लिए आवश्यक रेमडेसीविर इंजेक्शन के मामले में जिस तरह की कालाबाजारी और नकली इंजेक्शन की बिक्री के मामले सामने आए हैं, ठीक उसी तरह की आशंका ब्लैक फंगस की दवाओं को लेकर भी है, इसलिए राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए.