Fact Check: क्या PM मोदी के शासन में 17 लाख महिलाएं लापता हो गईं? जानें इस वायरल दावे की सच्चाई

Missing Women in India: आजकल सोशल मीडिया पर एक पोस्ट बहुत तेज़ी से फैल रहा है. इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, तब से देश में लगभग 17.5 लाख महिलाएँ लापता हो गई हैं और सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

यह दावा एक X (पहले ट्विटर) यूज़र '@BhavikaKapoor5' ने किया था, जिसके बाद इसे हज़ारों लोगों ने देखा और शेयर किया. लेकिन क्या यह दावा सच है? आइए जानते हैं कि सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं.

दावे और सच्चाई में कितना अंतर है?

दावा: वायरल पोस्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी के 11 साल के शासन में 17 लाख से ज़्यादा महिलाएं गायब हो गईं और सरकार ने कोई जांच नहीं की.

सच्चाई: यह दावा पूरी तरह से सही नहीं है और ज़रूरी जानकारी छुपाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से 2022 के बीच 16.15 लाख महिलाएँ लापता हुईं. लेकिन सबसे ज़रूरी बात जो वायरल पोस्ट में नहीं बताई गई, वो यह है कि इनमें से ज़्यादातर महिलाओं को बाद में ढूंढ लिया गया था.

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आंकड़ों की असलियत क्या है?

इस दावे की सच्चाई जानने के लिए NCRB की आधिकारिक वेबसाइट के आंकड़ों को देखा गया. NCRB के पास 2016 से लेकर 2022 तक के आंकड़े मौजूद हैं.

  • कुल लापता महिलाएं (2016-2022): इन 7 सालों में कुल 16,15,797 महिलाएँ (जिनमें लड़कियाँ भी शामिल हैं) लापता हुईं.
  • सबसे बड़ा सच: इन लापता महिलाओं में से ज़्यादातर को पुलिस और एजेंसियों ने समय-समय पर ढूंढ निकाला.
  • कितनी महिलाएँ अब भी लापता हैं?: 2022 के अंत तक के आंकड़ों के अनुसार, कुल 2,31,143 महिलाएँ ऐसी हैं जिनका अब तक पता नहीं चल पाया है. इस आंकड़े में 2016 से पहले के मामले भी शामिल हैं.

वायरल पोस्ट में क्या छिपाया गया?

वायरल पोस्ट में यह तो बताया गया कि कितनी महिलाएँ लापता हुईं, लेकिन यह जानबूझकर छिपा लिया गया कि उनमें से कितनी मिल गईं. जब हम केवल लापता होने का आंकड़ा देखते हैं तो यह बहुत बड़ा और डरावना लगता है. लेकिन जब हमें यह पता चलता है कि उनमें से अधिकांश को ढूंढ लिया गया है, तो तस्वीर पूरी तरह बदल जाती है.

उदाहरण के लिए, 2022 में कुल 4,97,393 महिलाएँ (पिछले सालों के मामलों को मिलाकर) लापता थीं. उसी साल 2,66,250 महिलाओं को ढूंढ लिया गया.

यह सच है कि महिलाओं के लापता होने की संख्या एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन इसे गलत संदर्भ में पेश करना भी गलत है. वायरल दावा अधूरा है और लोगों में भ्रम फैलाने का काम करता है. NCRB जैसे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करना बहुत ज़रूरी है ताकि हम सच्चाई जान सकें और गलत सूचनाओं से बच सकें.