क्या लखनऊ कोर्ट के जज ने राहुल गांधी के साथ ली सेल्फी? अमित मालवीय का दावा निकला फर्जी, फैक्ट चेक में हुआ खुलासा

15 जुलाई 2025 को बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक फोटो शेयर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि लखनऊ कोर्ट के जज अलोक वर्मा ने राहुल गांधी के साथ सेल्फी ली है.

15 जुलाई 2025 को बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक फोटो शेयर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि लखनऊ कोर्ट के जज अलोक वर्मा ने राहुल गांधी के साथ सेल्फी ली है. उन्होंने लिखा, "यह वही जज हैं जो राहुल गांधी के खिलाफ हमारी सेना के अपमान से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे हैं. इन्हें खुद को इस केस से अलग कर लेना चाहिए." इसके बाद यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और कई लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए.

एडिटेड Video से फैलाया जा रहा झूठ; विदेश मंत्री ने नहीं मानी पाकिस्तान के साथ जंग में राफेल के नुकसान की बात.

कुछ ही घंटों में फैक्ट चेकर्स और कांग्रेस प्रवक्ताओं ने इस दावे की सच्चाई सामने रख दी. दरअसल, जो व्यक्ति राहुल गांधी के साथ फोटो में दिख रहा है वह कोई जज नहीं, बल्कि लखनऊ के एक वरिष्ठ वकील सैयद महमूद हसन हैं. लखनऊ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जज अलोक वर्मा की तस्वीरों से तुलना करने पर भी स्पष्ट हो गया कि तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति वही नहीं है.

लखनऊ के जज ने राहुल गांधी के साथ सेल्फी नहीं ली

वह वकील हैं, जज नहीं: सुप्रिया श्रीनेत

राहुल गांधी को कोर्ट से मिली थी जमानत

15 जुलाई को राहुल गांधी लखनऊ की एमपी/एमएलए विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश हुए थे. यह मामला उनके द्वारा 2022 में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ दिए गए कथित अपमानजनक बयान से जुड़ा है. कोर्ट में पेशी के दौरान जज अलोक वर्मा ने उन्हें 20,000 रुपये के दो निजी मुचलकों पर जमानत दी. राहुल गांधी इससे पहले पांच बार सुनवाई से अनुपस्थित रहे थे, जिसके बाद उनकी यह पेशी हुई थी.

कांग्रेस का जवाब और मांग

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस दावे को “जानबूझकर किया गया झूठा प्रचार” बताया और कहा कि “बीजेपी अब न्यायपालिका को भी बदनाम करने पर तुली है, सिर्फ इसलिए क्योंकि राहुल गांधी सच्चाई बोलते हैं.” कांग्रेस ने मालवीय से सार्वजनिक माफी की मांग की है और यह भी कहा कि अगर झूठ फैलाने पर कोई जवाबदेही नहीं तय की गई, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक उदाहरण बन जाएगा.

Share Now

\