Shocking: भारत में हर घंटे चार महिलाओं के साथ होता है बलात्कार, 95 फीसदी मामलों में जान-पहचान वाला होता है अपराधी
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देशभर में इन दिनों महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गुस्से और चिंता का माहौल है. इन दिनों महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो वहीं बलात्कार के नए-नए मामले सुर्खियों में हैं. सीधे शब्दों में कहा जाए तो अस्पताल हो स्कूल, सड़क हो या घर महिलाएं कहीं सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि मासूम बच्चियां और वृद्ध महिलाएं भी वहशीपन का शिकार बन रही हैं. भारत में महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले एक गहरी सामाजिक समस्या बन गए हैं.

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औसतन, 2017 से 2022 के बीच, भारत में प्रतिदिन 86 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, और इन मामलों में से 82 में अपराधी महिला का जानकार व्यक्ति ही था. इस तरह, हर घंटे लगभग चार महिलाओं के साथ बलात्कार होता है, और इनमें से तीन से अधिक मामलों में अपराधी पीड़िता का परिचित होता है.

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एनसीआरबी रिपोर्ट के आंकड़े क्या कहते हैं?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2022 के बीच, भारत में कुल 1.89 लाख बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1.91 लाख महिलाएं पीड़िता थीं. इनमें से कम से कम 1.79 लाख मामलों में अपराधी महिला का जानकार व्यक्ति था, जबकि 9,670 मामलों में अपराधी अज्ञात व्यक्ति था.

आंकड़ों का विश्लेषण यह भी दिखाता है कि भारत में सबसे अधिक बलात्कार की शिकार 18 से 30 वर्ष की महिलाएं होती हैं. 1.89 लाख मामलों में से 1.13 लाख पीड़िताएं इसी आयु वर्ग की थीं. इस तरह, प्रतिदिन दर्ज होने वाले 86 बलात्कार के मामलों में से 52 मामले 18 से 30 वर्ष की उम्र की महिलाओं से जुड़े होते हैं.

क्या कार्यस्थल सुरक्षित हैं?

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले भारत में दर्ज होने वाले कुल मामलों की तुलना में बहुत कम हैं, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन कम से कम एक महिला कार्यस्थल या कार्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न का शिकार होती है.

2014 से 2022 के बीच, कार्यस्थल या कार्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न के कम से कम 4,231 मामले दर्ज किए गए. प्रारंभ में, कार्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या कम थी, लेकिन कार्य से संबंधित अन्य स्थानों पर यौन उत्पीड़न के मामले अधिक थे. 2017 के बाद से, हर साल इस मिले-जुले श्रेणी के तहत 400 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

नियोक्ता या सहकर्मियों द्वारा बलात्कार

2014, 2015 और 2016 में, एनसीआरबी ने नियोक्ता या सहकर्मियों द्वारा किए गए बलात्कार के मामलों की संख्या भी सामने रखी. इन तीन वर्षों में, नियोक्ता या सहकर्मियों द्वारा बलात्कार के 1,795 मामले दर्ज किए गए. यह औसतन प्रतिदिन दो मामलों के बराबर है. बाद की रिपोर्टों में, नियोक्ता या सहकर्मियों सहित परिवार के दोस्तों जैसी श्रेणियों को एक साथ मिलाकर दर्ज किया गया.

समाज और कानून में बदलाव की आवश्यकता

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में बलात्कार के मामले केवल अज्ञात अपराधियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अधिकतर मामलों में अपराधी कोई परिचित ही होता है. यह स्थिति हमारे समाज में व्याप्त विश्वासघात और महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाती है.

इन समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है कि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए. इसके साथ ही, कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए और महिलाओं के लिए कार्यस्थलों पर सुरक्षित वातावरण का निर्माण किया जाए.