नई दिल्ली: भारत की पहली और बहुप्रतीक्षित बुलेट ट्रेन सर्विस (शिंकानसेन) पर बातचीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते जापान के दौरे पर हैं. उम्मीद है कि पीएम मोदी वहां उन भारतीय ड्राइवरों से भी मिलेंगे, जो इन आधुनिक ट्रेनों को चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
प्रोजेक्ट का इतिहास
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (MAHSR) प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2017 में हुई थी. तब पीएम मोदी और जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गुजरात के साबरमती में इसकी नींव रखी थी.
इससे पहले, भारतीय रेलवे और जापान की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी ने मिलकर चार साल तक इसकी फिजिबिलिटी स्टडी की थी. फिर एक समझौता हुआ, जिसके तहत जापान इस प्रोजेक्ट का 80% खर्च आसान शर्तों पर लोन देकर उठाने के लिए तैयार हो गया. हालांकि, कुछ सालों तक प्रोजेक्ट में देरी हुई.
लेकिन अब निर्माण कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है. उम्मीद है कि इसका पहला सेक्शन 2027 तक गुजरात में खुल जाएगा और 2028 तक यह पूरा रूट चालू हो जाएगा. यह ट्रेन 508 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 2 घंटे 7 मिनट में तय करेगी.
ये बुलेट ट्रेनें क्या हैं?
यह एक हाई-स्पीड रेल नेटवर्क है, जैसा कि फ्रांस, चीन, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जर्मनी जैसे कई देशों में है. 'बुलेट ट्रेन' कहलाने के लिए ट्रेन को 250 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार पर चलना होता है और इसके लिए अलग से पटरियां बिछाई जाती हैं.
मिलिए E10 शिंकानसेन सीरीज से
पहले भारत को E5 शिंकानसेन सीरीज की ट्रेनें मिलने वाली थीं.
लेकिन प्रोजेक्ट में हुई देरी और इस बीच जापान की टेक्नोलॉजी में हुई तरक्की का फायदा भारत को मिला. अब भारत को अगली पीढ़ी की E10 सीरीज की ट्रेनें ऑफर की गई हैं. इसका डिज़ाइन जापान के मशहूर 'सकुरा' यानी चेरी ब्लॉसम फूलों से प्रेरित है. इस ट्रेन में एक सबसे बड़ा अपग्रेड यह है कि यह भूकंप-रोधी है.
- भूकंप से सुरक्षा: E10 सीरीज में 'L-आकार के व्हीकल गाइड' लगे हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि भूकंप के दौरान ट्रेन पटरी से न उतरे. इसमें झटकों को कम करने और पटरी से उतरने से बचाने के लिए लैटरल डैम्पर्स भी हैं.
- बेहतर ब्रेक: E10 में एडवांस ब्रेक लगे हैं जो रुकने की दूरी को 15% तक कम कर देते हैं. यानी, यह ट्रेन अपनी टॉप स्पीड से 3.4 किलोमीटर से भी कम दूरी में पूरी तरह रुक सकती है, जबकि E5 सीरीज को 4 किलोमीटर की दूरी लगती है. यह भारत जैसे घनी आबादी वाले देश के लिए बहुत बड़ा अपग्रेड है.
- रफ्तार: E10 की अधिकतम रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो E5 जितनी ही है. हालांकि, इसकी टॉप स्पीड को इलेक्ट्रॉनिक रूप से लिमिट किया गया है. बिना लिमिट के यह ट्रेन 360 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है.
- अन्य खूबियां: E5 की तुलना में, E10 में सामान रखने के लिए ज्यादा जगह, व्हीलचेयर यूजर्स के लिए खास विंडो सीटें और एक फ्लेक्सिबल सीटिंग प्लान होगा, जिसे ज्यादा यात्रियों या ज्यादा सामान के लिए बदला जा सकेगा.
यह ट्रेन जापान में 2030 तक पटरी पर उतरेगी. तब तक भारत को अंतरिम तौर पर E5 और E3 सीरीज के सेट इस्तेमाल के लिए मिलेंगे. जब 2027 में मुंबई-अहमदाबाद सर्विस शुरू होगी, तो उसे E5 सीरीज की ट्रेन ही चलाएगी.
ट्रेन के अंदर क्या होगा खास?
E5 के मुकाबले भारत की नई बुलेट ट्रेनों में चौड़ी सीटें होंगी. एक ख़ास बिजनेस क्लास भी होगा, जिसमें लेदर की आरामदायक रिक्लाइनर सीटें, बिल्ट-इन डेस्क और ऑनबोर्ड वाई-फाई जैसी सुविधाएं होंगी. ट्रेन की कलर स्कीम हरे रंग के शेड्स में होगी.
'कम, मेक इन इंडिया'
इस बीच, जापान में अपने पहले संबोधन में पीएम मोदी ने जापानी कारोबारियों को भारत में निवेश करने का न्योता दिया. उन्होंने कहा, "सेमीकंडक्टर से लेकर स्टार्ट-अप तक जापान भारत का एक प्रमुख भागीदार रहा है. जापानी कंपनियों ने भारत में 40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है."
जापान की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जापान अगले दशक में भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ावा देने के लिए 10 ट्रिलियन येन (लगभग 68 अरब डॉलर) का निवेश करेगा.













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