महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष: अजित पवार के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी दिया इस्तीफा, कल विधानसभा में साबित करना था बहुमत
CM देवेंद्र फडणवीस ने दिया इस्तीफा (Photo Credits: PTI)

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बाद अचानक मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की सरकार को बचाने के लिए सभी फोर्मुले फेल हो गए है. मंगलवार दोपहर दो बजे अजित पवार (Ajit Pawar) ने सूबे के डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया. इसके कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस न भी अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनसीपी से बगावत कर बीजेपी को समर्थन देने वाले शरद पवार के भतीजे और विधायक अजित पवार ने अपना इस्तीफा आज दोपहर मुख्यमंत्री को सौंपा. गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 27 नवंबर को बहुमत साबिक करने के आदेश के बाद एनसीपी अपने दिग्गज नेता अजित पवार को मनाने के लिए नए सिरे से जुट गए थे. महाराष्ट्र प्रोटेम स्पीकर चुनाव, बीजेपी के ये तीन नेता हैं रेस में

फडणवीस ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुबह अजित पवार उनसे मिले थे और उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा था. उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम पद से अजित पवार के इस्तीफे के बाद हमारे पास बहुमत नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें महसूस हुआ कि हमारे पास संख्या बल नहीं है और हम खरीद-फरोख्त में शामिल नहीं होना चाहते इसलिये यह फैसला किया.

इससे पहले सोमवार को संख्या बल दिखाने के लिए शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से अपने 162 विधायकों की सार्वजनिक परेड आयोजित की. बीजेपी व उसके सहयोगी अजित पवार गुट के 170 विधायकों का संख्या बल होने के दावे को गलत साबित करने के लिए पार्टियों द्वारा ऐसा किया गया.

शनिवार को नाटकीय घटनाक्रम के तहत महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. वहीं एक साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना पर काम कर रही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सरकार गठन को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस सरकार को बुधवार शाम पांच बजे तक विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का अंतरिम निर्देश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इसके लिए एक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाएगा और बहुमत परीक्षण गुप्त मतदान द्वारा नहीं होगा और सदन की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया जाएगा.