बहादुरी! पेट में गोली लगने के बावजूद जीप चलाता रहा ड्राइवर, संतोष सिंह ने 15 यात्रियों की बचाई जान

बीते सप्ताह बिहार के भोजपुर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने साहस और समर्पण की परिभाषा को नया आयाम दिया. एक जिप्सी ड्राइवर, संतोष सिंह, ने पेट में गोली लगने के बावजूद 15 यात्रियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए कई किलोमीटर तक गाड़ी चलाई. यह घटना बुधवार और गुरुवार की रात के बीच हुई, जब संतोष सिंह एक "तिलक" समारोह से लौट रहे थे और उनके साथ 14-15 लोग सवार थे.

क्या हुआ था घटना के दौरान? 

घटना उस समय घटी जब दो बाइक सवार बदमाशों ने संतोष सिंह की जिप्सी का पीछा किया और उन पर गोली चला दी. एक गोली सीधे संतोष के पेट में लग गई, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए और खून बहने लगा. हालांकि, उनकी हालत गंभीर थी, लेकिन संतोष ने अपने साहस का परिचय देते हुए गाड़ी चलाना जारी रखा. वह यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके यात्री सुरक्षित रहें और वे बदमाशों से बचकर निकल सकें.

संतोष सिंह ने अपनी पूरी कोशिश की और कुछ किलोमीटर की दूरी तय की, जिसके बाद वह एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचे. वहां से यात्रियों ने पुलिस को सूचना दी, और पुलिस ने तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर संतोष को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया.

इलाज और स्वास्थ्य 

संतोष सिंह का इलाज अस्पताल में शुरू हुआ, जहां डॉक्टरों ने उनके पेट से गोली निकाल दी. सर्जरी के बाद, डॉक्टरों ने बताया कि वह अब खतरे से बाहर हैं, लेकिन उनकी हालत पर नजर रखने के लिए कुछ दिन तक उन्हें अस्पताल में रखा जाएगा. डॉ. विकास सिंह ने बताया कि गोली के कारण संतोष के आंत के कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचा था, लेकिन सर्जरी के बाद अब वह स्थिर स्थिति में हैं.

पुलिस जांच और फरार बदमाशों की तलाश 

संतोष सिंह के परिवारवालों ने घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई, जिसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और बदमाशों की तलाश शुरू कर दी. पुलिस ने यह भी पता लगाया कि उन दोनों बदमाशों ने उसी दिन एक और वाहन को भी निशाना बनाया था. इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के स्केच तैयार किए और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से उनकी पहचान स्थापित करने की कोशिश की.

वहीं, पुलिस जांच में एक फॉरेंसिक टीम और जिला इंटेलिजेंस यूनिट को भी शामिल किया गया है, ताकि इस मामले का जल्द से जल्द खुलासा हो सके.

साहस का प्रतीक संतोष सिंह 

संतोष सिंह की इस बहादुरी और साहस को देखकर यह कहा जा सकता है कि उन्होंने न केवल अपनी जान की परवाह किए बिना यात्रियों की जान बचाई, बल्कि एक सच्चे नायक की तरह कार्य किया. उनकी कहानी इस बात का उदाहरण है कि इंसानियत और साहस किसे कहते हैं, और कभी भी मुश्किल समय में हमें अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए.

संतोष सिंह का यह उदाहरण हमें सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व और बहादुरी किस प्रकार कठिन समय में सामने आती है, और यह हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपनी जिम्मेदारी निभाने में कभी पीछे न हटें, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो.