नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर की हवा और जहरीली होती जा रही है. आसमान धुंध और धुएं की चादर में लिपटा हुआ है. प्रदूषण इतना ज्यादा है कि कुछ दूरी पर देखना मुश्किल हो रहा है. सूरज की किरणें भी ठीक तरह से धरती तक नहीं पहुंच रही हैं. दिल्ली में मंगलवार सुबह हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई. मौसम विभाग के पूर्वानुमानकर्ताओं का कहना है कि हवा की धीमी गति और पराली जलाने में वृद्धि, खासतौर से पंजाब में, इसे 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचा सकती है. दिल्ली में 40 फीसदी से ज्यादा उपभोक्ताओं का बिजली सब्सिडी नहीं लेने का फैसला.
आज सुबह दिल्ली का औसत AQI 385 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में है. वहीं नोएडा और गुरुग्राम में हालात और खराब हैं. नोएडा में प्रदूषण गंभीर श्रेणी में है. नोएडा में AQI 444 दर्ज किया गया. गुरुग्राम (हरियाणा) में AQI 391 दर्ज किया गया जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है. धीरपुर (दिल्ली) में AQI 594 दर्ज किया गया. लगातार गिरती एयर क्वालिटी से हर कोई बेहद परेशान है.
इससे पहले शुक्रवार शाम दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 392 (बहुत खराब) रहा, जो रविवार को 352 था. गुरुवार को एक्यूआई 354, बुधवार को 271, मंगलवार को 302 और सोमवार (दिवाली) को 312 था.
अन्य इलाकों में भी गंभीर हो सकती है स्थिति
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काईमेट वेदर’ के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि हवा की मंद गति ने प्रदूषकों को वातावरण में जमा होने दिया और मंगलवार को स्थिति ‘‘गंभीर’’ हो सकती है.
उन्होंने कहा कि एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से चार नवंबर से आर्द्रता बढ़ सकती है और हवा की गति और कम हो सकती है, जिससे धुंध में और इजाफा हो सकता है.
बता दें कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’, तथा 401 और 500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
पराली का धुंआ बिगाड़ रहा हवा
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली पूर्वानुमान एजेंसी वायु गुणवत्ता मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान बढ़कर 22 प्रतिशत हो गया. रविवार को यह 26 फीसदी और शनिवार को 21 फीसदी था, जो इस साल अब तक का सर्वाधिक है.
पलावत ने कहा कि पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के संचरण के लिए हवा की दिशा और गति अनुकूल है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में लोग एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं. इस अवधि में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर होती हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने सोमवार को पंजाब में पराली जलाने की इस मौसम में अब तक सर्वाधिक 2,131 घटनाओं की सूचना दी, रविवार को 1,761, शनिवार को 1,898, शुक्रवार को 2,067 और बृहस्पतिवार को 1,111 पराली जलाने की घटनाएं हुईं. सोमवार को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के क्रमश: 70 और 20 मामले दर्ज किए.
सीएक्यूएम ने बृहस्पतिवार को कहा था कि इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं ‘गंभीर चिंता का विषय’ हैं. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अगर केंद्र ने राज्य सरकार की ‘‘मेगा योजना’’ का समर्थन किया होता तो पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी कमी देखी जा सकती थी. इस योजना के तहत किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए नकद प्रोत्साहन दिया जाना था.
दिल्ली में बढ़ सकती है सख्ती
अगले चरण ‘‘गंभीर प्लस’’ श्रेणी या चौथे चरण में दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देना, शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना और ऑड-ईवन के आधार पर वाहनों का चलना आदि जैसे कदम शामिल हो सकते हैं.