नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक तकनीक के बढ़ते खतरों पर गहरी चिंता जताई है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की है, क्योंकि यह एक वैश्विक समस्या बन चुकी है. डीपफेक तकनीक, जिसमें नकली वीडियो और ऑडियो को वास्तविक जैसा दिखाया जाता है, समाज के लिए गंभीर खतरा बन रही है.
हाई कोर्ट ने कहा कि डीपफेक और AI तकनीक का दुरुपयोग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में हो रहा है. इस तकनीक का इस्तेमाल चुनाव से पहले फर्जी प्रचार, धोखाधड़ी, और दवाओं की अवैध बिक्री जैसे उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है. एक बार जब ऐसा कोई डीपफेक वीडियो इंटरनेट पर पोस्ट हो जाता है, तो उसका प्रसार बहुत तेजी से होता है, जिससे होने वाले नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो जाता है.
केंद्र सरकार से सुझाव मांगे
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सुझाव मांगे हैं, ताकि डीपफेक तकनीक के खिलाफ उचित नियम बनाए जा सकें. कोर्ट ने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल तकनीक के जरिए ही किया जा सकता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी 3 हफ्ते के भीतर विस्तृत सुझाव देने के लिए कहा है, जिसमें अन्य देशों द्वारा अपनाए गए तरीके और उदाहरण शामिल होने चाहिए.
Deepfake के खिलाफ नियम बनाने की मांग
इस मामले में दो याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से एक वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा और दूसरी अधिवक्ता चैतन्य रोहिल्ला द्वारा दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर समय रहते डीपफेक वीडियो के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तो समाज को गंभीर नुकसान हो सकता है. कोर्ट ने यह भी देखा कि चुनाव से पहले इस तकनीक के दुरुपयोग के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये समस्या वैश्विक है. अगर एक बार ऐसा डीपफेक वीडियो पोस्ट हो जाए और इससे नुकसान हो जाए तो हम शिकायत करते हैं. इतना ही नहीं, 72 घंटे में कार्रवाई होती है, लेकिन तब तक यह वीडियो कई बार शेयर हो चुका होता है.