सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अत्यधिक उपयोग की संभावित समस्याओं पर प्रकाश डाला, खासकर जब बात कानूनी दस्तावेजों के अनुवाद की हो. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह मुद्दा उठाया जब उन्हें हिंदी कोर्ट रिकॉर्ड्स के अंग्रेजी अनुवाद की जरूरत पड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि कई कानूनी दस्तावेजों के अनुवाद गलत थे. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि वकीलों को अपने दलीलों में सही शब्दों का उल्लेख करने का ध्यान रखना चाहिए. AI पर भरोसा करने से कभी-कभी मजेदार गलतियां हो सकती हैं. HC on Maintenance: मां के कामकाजी होने पर भी बच्चों का भरण-पोषण करना पिता का दायित्व, हाई कोर्ट की टिप्पणी.
जस्टिस विश्वनाथन ने एक उदाहरण देते हुए कहा, "एक बार मैंने AI का उपयोग करके एक निर्णय का अनुवाद किया और 'Leave Granted' का अनुवाद 'चुट्टी स्वीकृत' (Holiday Approved) हो गया." इस पर जस्टिस गवई ने चुटकी लेते हुए कहा कि कभी-कभी इसे 'अवकाश स्वीकृत' (Vacation Approval) के रूप में भी अनुवादित किया जाता है.
AI ने हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए. जनवरी 2023 में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक भाषण में कहा कि भारतीय न्यायपालिका के अगले कदम में विभिन्न कोर्टों के निर्णयों को सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की योजना है, संभवतः AI की मदद से.
फरवरी 2023 में, कोर्ट ने संविधान पीठ मामलों की लाइव ट्रांसक्रिप्शन के लिए AI और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित तकनीक का उपयोग शुरू किया. मई 2023 में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस प्रकार के कोर्ट प्रोसीडिंग ट्रांसक्रिप्ट को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने पर काम कर रहा है.
इस वर्ष के सुप्रीम कोर्ट हैकाथॉन का भी ध्यान AI आधारित समाधानों पर है, जो कोर्ट की रजिस्ट्री के कार्यों को सुधारने के लिए नवाचारित विचारों को आकर्षित करने का उद्देश्य है. इन प्रयासों के बावजूद, AI की सीमाओं को समझना और सही मानव पर्यवेक्षण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, ताकि कानूनी दस्तावेजों में किसी प्रकार की गंभीर गलतियाँ न हों.