मुंबई: कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते प्रसार और वैक्सीनेशन के मेगा अभियान के बीच ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से जुड़ी एक अहम रिपोर्ट सामने आई है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की कार्यकारी इकाई पब्लिक हेल्थ इंग्लैण्ड (पीएचई) ने अपने पहले ‘निगरानी आंकड़े’ में पाया है कि कोविड-19 के लक्षणों को रोकने में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराक 85-90 प्रतिशत प्रभावी हैं. स्वास्थ्य इकाई ने वैक्सीन की क्षमता का पता लगाने के लिए ‘प्रायोगिक आंकड़े’ की जगह पहली बार ‘निगरानी आंकड़े’ का हवाला दिया है. कोविशील्ड टीके की दो डोज के बीच का समय बढ़ाकर 12-16 सप्ताह किया गया: सरकार
पीएचई ने कहा, ‘‘पहली बार अपनाए गए नए आकलन से पता चला है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो डोज लाक्षणिक रोग से 85 से 90 प्रतिशत सुरक्षा उपलब्ध कराती हैं.’’ ब्रिटेन के वैक्सीन मामलों के मंत्री नधीम जहावी ने कहा, ‘‘यह नया आंकड़ा टीके की दोनों खुराकों के शानदार प्रभाव को रेखांकित करता है और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्रोजेनेका वैक्सीन की दूसरी खुराक 90 प्रतिशत तक सुरक्षा उपलब्ध करा रही है.’’
ऑक्सफोर्ड/एस्ट्रोजेनेका के कोविड रोधी टीके का उत्पादन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भी किया जा रहा है और भारत में महामारी की रोकथाम के लिए इस टीके का इस्तेमाल ‘कोविशील्ड’ के रूप में हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मार्च महीने में जबरदस्त क्षमता वाला वैक्सीन कहा था.
हाल ही में भारत में कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक (डोज) के बीच के अंतर को पहले के 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया. विशेषज्ञों का दावा है कि इस कदम से वैक्सीन की प्रभावशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, जबकि वैक्सीन की क्षमता बढ़ सकती है.
मार्च में लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन में लंबी अंतराल वाले वैक्सीनेशन रणनीति का समर्थन किया गया है. इससे पता चला है कि 12 सप्ताह या उससे अधिक के अंतराल पर दी जाने वाली दो मानक खुराक के बाद कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 81.3 प्रतिशत तक देखी गई है, जबकि 6 सप्ताह से कम समय के अंतराल में प्रभावकारिता महज 55.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी. शोधकतार्ओं के एक इंटरनेशनल दल के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह भी दावा किया गया कि एंटीबॉडी उन लोगों में दो गुना अधिक देखी गई, जिन्होंने 12 सप्ताह की अवधि के बाद दूसरी खुराक प्राप्त की. यह उन लोगों की तुलना में दोगुनी देखी गई, जिन्होंने छह सप्ताह के अंतराल में ही दूसरी डोज ले ली थी.