साल 2020 के आखिरी दिनों में कोरोना के नए केस में राहत देखी जा रही है, कोविड-19 के नये मामलों का ग्राफ नीचे आ रहा है. हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं है कि महामारी अपने अंतिम चरण पर है. यह इसका एक फेज़ हो सकता है, जिसमें मामले कम आ रहे हैं. इसके साथ ही यह संभावना जताई जा रही है कि वैक्सीन आने के बाद भी यह वयरस लंबे समय तक रहेगा. इसके साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए. चूंकि वैक्सीन सभी को एक साथ देना संभव नहीं है, इसलिए बचाव ही इससे बचने का एक मात्र तरीका है.
वैक्सीन और वायरस से जुड़ी तमाम नई और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए प्रसार भारती ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज डॉ. राजेंद्र के धमीजा से विशेष बातचीत की. जहां उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए.
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दो दिन के वैक्सीन के ड्राई रन में क्या हो रहा है?
चार राज्यों में किए जा रहे अभ्यास में वैक्सिनेशन की प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों को टेस्ट किया जा रहा है. जो भी खामियां आयेंगी, उनको वास्तविक टीकाकरण के पहले दूर किया जाएगा. वास्तविक टीकाकरण कुछ ही दिनों में शुरू होगा. इसमें लैब से निकल कर ट्रांसपोर्टेशन तक और रजिस्ट्रेशन से लेकर काउंड मैनेजमेंट तक, सभी प्रक्रियाओं को टेस्ट किया जाएगा.
स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में वैक्सीन देने वाली टीम में कौन-कौन लोग शामिल होंगे?
वैक्सिनेशन साइट पर एक टीम में 5 सदस्य होंगे. मुख्य अधिकारी एक डॉक्टर होंगे, उनके साथ एक नर्स और बाकी तीन उनके सहायक होंगे. फर्स्ट लीडर इंजेक्शन इंचार्ज होगा, सेकेंड लीडर का काम वैक्सीन के स्टोरेज की देखरेख करनी होगी. तीसरे सदस्य का काम दस्तावेजों की जांच करना होगा और बाकी के दो लोग क्राउड मैनेजमेंट का काम करेंगे, यानी किस किस क्रम में लोगों को बुलाना है.
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क्या कोई भी वैक्सिनेशन साइट पर जाकर वैक्सीन लगवा सकेगा?
नहीं, वैक्सिनेशन साइट पर मौजूद टीम को को जिला प्रशासन द्वारा एक सूची मुहैया करायी जाएगी, जिसमें उनके नाम पहले से लिखे होंगे जिन्हें वैक्सीन दी जानी है. वहां केवल उन्हीं लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा, जिनका नाम सूची में होगा. उन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त फोटो आईडी-कार्ड साथ में लाना होगा. वैक्सीन के लाभार्थियों की सूची जिला प्रशासन द्वारा ही तैयार की जाएगी.
हमारे देश में कौन सी वैक्सीन सबसे पहले आयेगी?
हमारे देश में अभी तीन वैक्सीन पर तेज़ी से काम चल रहा है, उनमें से ऑक्सफोर्ड एवं एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड, जिसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रहा है, को जल्द ही इमर्जेंसी अप्रूवल मिल सकता है. भारत की परिस्थितियों के हिसाब से यह काफी अनुकूल है, चाहे वो प्राइसिंग हो, स्टोरेज हो या लॉजिस्टिक्स हो.
पहले चरण में कितने लोगों को वैक्सीन दी जाएगी?
सरकार ने पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की योजना बनायी है, जिनमें 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स हैं, जिनको अस्पताल चलाने हैं. इस सिस्टम को चालू रखना है. उसके बाद फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी, जिनमें पुलिस वाले, एम्बुलेंस ड्राइवर, आदि हैं. इनकी संख्या करीब 2 करोड़ के आस-पास है. उसके बाद 50 वर्ष की आयु से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. इनकी संख्या करीब 27 करोड़ है.