कोविड-19 वैक्सीन : भारत बायोटेक और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) ने आज को-वैक्सीन (Co-vaccine) के तीसरे चरण के परीक्षण के दूसरे अंतरिम परिणामों की घोषणा की. परिणाम के अनुसार को-वैक्सीन 78% प्रभावी पाई गई है. साथ ही इसमें कहा गया है कि कोविड-19 के भीषण रूप में बीमारी से लड़ने के लिए को-वैक्सीन का टीका 100 % प्रभावी है.
गंभीर संक्रमण के खिलाफ है 100% प्रभावी
अपनी प्रेस रिलीज में, कंपनी ने कहा कि दूसरे अंतरिम परिणामों से पता चला कि भारत की पहली वैक्सीन ने गंभीर संक्रमण के खिलाफ मजबूत प्रभावकारिता दिखाई है. इसमें कहा गया है कि हाल ही में संक्रमण में वृद्धि के कारण जो मामले दर्ज किए गए, उनके आकलन के अनुसार हल्के और मध्यम संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावकारिता 78% है. गंभीर संक्रमण के खिलाफ यह 100 % प्रभावी है. हालांकि, को-वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल के एनालिसिस का यह अंतरिम डेटा है, फाइनल डेटा जून तक आ सकता है.
को-वैक्सीन हर तरह के वेरिएंट्स पर प्रभावी
आई.सी.एम.आर. ने अपने रिसर्च में दावा किया कि भारत बायोटेक की को-वैक्सीन SARS-Cov-2 सभी तरह के वेरिएंट्स पर प्रभावी है. आई.सी.एम.आर. की स्टडी के मुताबिक, यह वैक्सीन Covid-19 के यूके, ब्राजील और अफ्रीकन वेरिएंट को मात देने में भी सक्षम है. जी हां, यह वैक्सीन कोरोना के सेकेंड वेव में तबाही मचाने वाले डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पर भी प्रभावी है. भारत बायोटेक के सेकेंड इंटरिम एनालिसिस 87 symptomatic कोरोना केस पर आधारित है. कंपनी ने दावा किया कि asymptomatic COVID-19 पर यह 70% प्रभावी है. यह भी पढ़ें : Maharashtra: नासिक के अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित होने से मरीजों की मौत के मामले में प्राथमिकी दर्ज
फेज-3 ट्रायल में शामिल हुए 25,800 लोग
पहले इंटरिम एनालिसिस में को-वैक्सीन 81% प्रभावी था, जबकि गंभीर मामलों में यह 100% प्रभावी था. फेज-3 ट्रायल में 18-98 वर्ष के बीच के 25,800 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के 10% लोग शामिल हुए. टीकाकरण की दूसरी खुराक के 14 दिन बाद यह परीक्षण किया गया. को-वैक्सीन को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से प्राप्त सीड स्ट्रैन से बनाया गया है. यह क्लीनिकल परीक्षण भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और भारत बायोटेक द्वारा फंडेड किया गया.
वैक्सीन लेने के बाद भी मास्क जरूरी
भारत बायोटेक के मुखिया कृष्णा एल्ला ने स्पष्ट किया कि इंजेक्टेबल वैक्सीन केवल निचले फेफड़े की रक्षा करते हैं, ऊपरी फेफड़े की नहीं. इसलिए कोरोना से संक्रमित होने की संभावना को वैक्सीन की दो खुराक पाने के बाद भी पूरी तरह से इनकार नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह सभी इंजेक्शन वाले टीकों के साथ समस्या है. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि टीके संक्रमण को गंभीर होने से रोकेंगे. टीके लेने के बाद कोरोना जानलेवा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद भी मास्क पहनना होगा और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
अगले महीने 3 करोड़ खुराक का उत्पादन होगा
भारत बायोटेक अगले महीने कोविड-19 टीके, को-वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी. कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने मंगलवार को कहा कि मार्च में कंपनी ने को-वैक्सीन की 1.5 करोड़ खुराक का उत्पादन किया था. एल्ला ने आगे बताया कि कंपनी बेंगलुरु में दो नए वैक्सीन संयंत्रों को शुरू करने जा रही है. एल्ला का यह बयान ऐसे समय आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से टीके का उत्पादन बढ़ाने को कहा है, ताकि कम से कम समय में सभी भारतीयों का टीकाकरण किया जा सके. pbns