Coronavirus: युवाओं पर भी खतरा कम नहीं, लापरवाही करने पर भारत की आधी आबादी आ सकती है कोरोना की चपेट में
सारी दुनिया की नजर भारत पर है. निसंदेह कोरोना की रोकथाम के लिए भारत सरकार ने सराहनीय कदम उठाए हैं. लेकिन इसके साथ ही अब भारत में कोविड-19 के तीसरे फेस को लेकर अटकलों का बाजार गरम है.
फिलहाल आज तक भारत ने जिस तरह से COVID-19 के प्रसार अंकुश रखने में सफलता पाई है, दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इसकी प्रशंसा की है. इसका श्रेय वे भारत के मेडिकल तंत्रों के साथ आम नागरिकों की सजगता एवं चैतन्यता को देते हैं. सारी दुनिया की नजर भारत पर है. निसंदेह कोरोना की रोकथाम के लिए भारत सरकार ने सराहनीय कदम उठाए हैं. लेकिन इसके साथ ही अब भारत में कोविड-19 के तीसरे फेस को लेकर अटकलों का बाजार गरम है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह फेस कई गुना ज्यादा संक्रमण के साथ आक्रमण करता है. आबादी बहुल भारत के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है. जरा-सी लापरवाही भारत की आधी आबादी को कोविड-19 अपनी चपेट में ले सकता है. हांलाकि भारत की दक्ष चिकित्सा पद्धति इस पर भी नियंत्रण प्राप्त कर सकती है.
शोधः 50 फीसदी भारतीय संक्रमित हो सकते हैं
वाशिंगटन (अमेरिका) स्थित सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) के डायरेक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने पिछले दिनों बातचीत के दरम्यान संभावना जताई कि आने वाले दिनों में अमेरिका की 20 से 60 प्रतिशत की आबादी कोरोनावायरस की चपेट में आ सकती है, वहीं भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता. वहां की स्थिति भी कमोबेस यही रहेगी. यानी कोरोनावायरस भारत की 50 फीसदी आबादी को अपनी चपेट में ले सकता है. वह स्थिति भारत जैसे जनसंख्याबहुल देश के लिये बेहद खतरनाक हो सकती है. हांलाकि वहां की सरकार चैतन्य और सजग है. वे इस खौफ से वाकिफ भी हैं. उऩकी इसी सजगता का परिणाम है कि विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होने के बावजूद भारत खुद को सुरक्षित रखने में सफल रहा है. COVID-19 की महामारी पर नियंत्रण के लिए वहां की सरकार ने स्कूल, कॉलेज, सिनेमा, मल्टीप्लेक्स, मॉल आदि बंद करवा दिया है. वहां का प्रशासन भी कोविड-19 के मरीजों पर गहरी नजर रख रहा है.
खतरा युवाओं पर भी कम नहीं
अभी तक यही माना जा रहा था कि 60 साल से ज्यादा उम्र वाले ही कोविड-19 के शिकार बन रहे हैं. अगर इस संदर्भ में दक्षिण कोरिया की आबादी बहुल इलाके में किये गये सर्वे पर नजर डालें तो पाते हैं कि करीब 30 प्रतिशत कोरोना से संक्रमित लोग 20 और 29 वर्ष वाला युवा वर्ग है. यह रिपोर्ट चौंकाने वाला है खासकर उन लोगों को जिनके मन में यह धारणा है कि कोविड-19 के शिकार वृद्ध लोग ज्यादा हैं. अलबत्ता साउथ कोरिया की मृत्युदर यह भी बताती है कि वहां कोविड-19 के कारण वृद्धों की संख्या ज्यादा है. इस तरह हमें युवाओं के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. भारत में भी कोविड-19 के संक्रमितों में 15 से 30 साल के युवा पाये गये हैं. हाल ही में गुड़गांव के पांच संक्रमितों में दो मरीज क्रमशः 16 और 22 वर्ष के पाये गये. ऐसी स्थिति में कोरोनावायरस की जांच और इलाज में हर उम्र के लोगों पर नजर रखनी होगी. यह कहना गलत नहीं होगा कि दक्षिण कोरिया सरकार द्वारा युवाओं के प्रति बरती गयी सतर्कता के कारण ही वहां युवाओं की मृत्यु दर लगभग नहीं के बराबर थी जबकि मरने वाले अधिकांश मरीज 80 वर्ष के आसपास के लोग ही थे.
इन बातों का भी रखें ध्यान
* WHO ने माना है कि कोविड-19 का मरीज अपने संक्रमण से ढाई लोगों को संक्रमित कर सकता है.
* संक्रमण से बचने के लिए कम से कम एक मीटर की दूरी बना कर रखें
* कुछ अन्य शोध एवं स्टडी ने संक्रमण की दर 4 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना बताई है
* इससे पूर्व प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सार्स जैसे वायरस के मरीज की संक्रमण दर दो व्यक्ति यानी एक मरीज दो स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता था.
* औसतन सामान्य फ्लू का एक मरीज 1.3 लोगों को संक्रमित करता है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, सोमवार तक देश में कोरोनावायरस के पुष्ट मामलों की संख्या 415 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर भी पुष्ट मामलों की संख्या यही है. आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, 23 मार्च, 2020 को सुबह 10 बजे तक 17,493 लोगों के 18,383 नमूनों का कोविद-19 परीक्षण किया गया.