Corona Pandemic: कोरोना संक्रमित माताएं अपने बच्चों को पिला सकती हैं दूध-  WHO
कोरोना से जंग (Photo Credit- PTI)

कोरोना वायरस  (Coronavirus) के फैलने के बाद से नवजात बच्चों की माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं. सरकार ने भी बच्‍चों के प्रति ज्यादा से ज्यादा सावधान रहने का सुझाव दिया है.  लेकिन अगर मॉं स्‍वयं कोरोना पॉजिटिव हो जाये तो क्या हो? क्या वो अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है? इस पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (Lady Hardinge Medical College) के डॉ. अनुपम प्रकाश (Anupam Prakash) ने कहा कि हां जरूर पिला सकती हैं.

डॉ. प्रकाश ने कहा कि मॉं के दूध से वायरस के संक्रमण होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. अगर मां संक्रमित है और बच्चे को दूध पिलाना है तो पिला सकती है. अभी तक देखा गया है कि इससे बच्चे को संक्रमण नहीं होता है. लेकिन हां सांस लेते वक्त मां के मुंह की हवा बच्चे पर न जाये, अन्यथा मुंह से निकलने वाले एयरोसोल बच्चे पर जा सकते हैं.  खांसी आ रही है, तो बच्चे को गोद में मत लें.पूरे समय मास्क लगायें. साबुन पानी से हाथ धो कर ही बच्चे को हाथ में लें. साथ ही बच्‍चे को कुछ भी देने से पहले या उसे छूने से पहले घर में मौजूद हर व्‍यक्त‍ि साबुन से हाथ धोये. यह भी पढ़े: Corona Pandemic: कोरोना लेकर बड़ी राहत, रिकॉर्ड स्तर पर लोग हो रहे हैं ठीक, दवा नहीं जागरूकता भी है एक वजह

चूंकि सेनिटाइजर बनाने में विभिन्न प्रकार के केमिकल का प्रयोग किया जाता है, इसलिए हमेशा कहा जाता है कि खाने से पहले साबुन-पानी से ही हाथ धोयें.  लेकिन अगर यात्रा कर रहे हैं और कोई विकल्प नहीं है तो ही सेनिटाइजर का प्रयोग करें.

कोविड से ठीक मरीजों में अन्य मरीजों की तुलना में ज्यादा होता है थकान

प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. अनुपम प्रकाश ने बताया कि जिस तरह से अन्य बीमारियों के ठीक होने के बाद भी शरीर में कई दिन तक थकान, कमजोरी आदि रहती है और पूरी तरह ठीक होने में एक-दो हफ्ते लग जाते हैं, उसी तरह कोरोना में भी होता है. इसमें थकान, कमजोरी ज्यादा लगती है.खासतौर से उनमें जिन्हें सांस संबंधी बीमारी है, निमोनिया के लक्षण ज्यादा आये हैं, उनमें ऐसा ज्यादा देखा जा रहा है. इसलिए कोविड से ठीक हुये लोग पौष्‍ट‍िक आहार लें। पूरा आराम करें, बाहर जाने की जल्दी मत करें.  सरकार ने भी 17 दिन के होम क्वारनटाइन को कहा है.

एंटीबायोटिक दवाओं से कोरोना के मीरजों में मृत्यु का खतरा

डॉ. प्रकाश ने कहा कि अभी किसी को इसके बारे में ज्यादा पता हीं है. मरीज को बचाने के लिए कई दवायें दी जा रही हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का भी प्रयोग किया गया. हांलाकि एंटीबायोटिक दवाएं वायरल बीमारियों में असर नहीं करती हैं, ये बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए होती हैं. कोरोना की चुनौती बड़ी थी, उस दौरान एंटीबायोटिक से कई बार दिक्कत सामने आई. इसलिए आम लोग इस वक्त खुद से कोई भी दवा मत लें.