नई दिल्ली : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले पांच साल में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में लगभग 170 किलोवाट सालाना बढ़ोतरी हुई है. साथ ही तापीय बिजलघरों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह संसद में केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के हवाले से बताया गया कि साल 2018-19 में भारत में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 1181 किलोवाट प्रति वर्ष हो गयी है. साल 2014-15 में यह 1010 किलोवाट प्रति व्यक्ति, प्रति वर्ष थी. हालांकि भारत में बिजली की खपत का यह स्तर विकसित देशों की तुलना में काफी कम है.
यह भी पढ़ें : मुंबई से सटे ठाणे में भी भारी बारिश, बिजली की चपेट में आने से एक की मौत
मंत्रालय ने बताया कि विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में अमेरिका में बिजली की प्रति व्यक्ति, प्रति वर्ष खपत 12,994 किलोवाट थी. जबकि ब्रिटेन में 5,130 किलोवाट प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष और चीन में 3,927 किलोवाट प्रति व्यक्ति, प्रति वर्ष बिजली की खपत है. बिजली की खपत में वृद्धि के आधार पर तापीय बिजली घरों की विद्युत उत्पादन क्षमता में इजाफे के कारण कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में भी साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है.
मंत्रालय ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के आधार पर बताया कि देश के तापीय बिजलीघरों की सालाना विद्युत उत्पादन क्षमता 2016 में 1,85,172 मेगावाट थी, जो कि मार्च 2019 में बढ़कर 1,94,444 मेगावाट हो गयी. इन संयंत्रों की स्थापित क्षमता 2017 में 1,92,162 मेगावाट और 2018 में 1,97,171 मेगावाट थी.
तापीय बिजली संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के आंकड़ों के अनुसार 2016 में इन बिजलीघरों से प्रति दिन 22.10 मिलियन टन कार्बन डाई आक्साइड, 24,620 टन सल्फर डाई आक्साइड और 25,331 टन नाइट्रोजन आक्साइड का उत्सर्जन हुआ. मार्च 2019 तक यह मात्रा बढ़कर कार्बन डाई आक्साइड की प्रति दिन 25.30 मिलियन टन ,सल्फर डाई आक्साइड की 25,853 टन और नाइट्रोजन आक्साइड की 26,600 टन हो गयी.