नई दिल्ली: आम जनता को जल्द ही दैनिक इस्तेमाल के उत्पादों के लिए अपनी जेब पहले से ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है. गेहूं, पाम तेल और पैकेजिंग सामान जैसे जिंसों के दामों में उछाल की वजह से एफएमसीजी (FMCG) कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही हैं.
इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी एफएमसीजी कंपनियों को झटका लगा है. उनका मानना है कि इसके चलते, गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा. डाबर और पारले जैसी कंपनियों की स्थिति पर नजर है और वे मुद्रास्फीतिक दबाव से निपटने के लिए सोच-विचार कर कदम उठाएंगी.
कुछ मीडिया खबरों में कहा गया है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले ने पिछले सप्ताह अपने खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं. पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने पीटीआई- से कहा, ‘‘हम उद्योग द्वारा कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं.’
हालांकि विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए. बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशी कारोबार में मंदी का रुख था और आयातित तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं. इनके मुकाबले देशी तेल सस्ते हैं.
सोयाबीन डीगम और सीपीओ एवं पामोलीन के महंगा होने के साथ इन तेलों के लिवाल कम हैं. आयातित तेल महंगा होने के बाद इनकी जगह उपभोक्ता सरसों, मूंगफली, बिनौला की अधिक खपत कर रहे हैं. नयी फसल की मंडियों में आवक भी बढ़ी है. इन तथ्यों के मद्देनजर विदेशों में गिरावट का असर स्थानीय तेल तिलहन कीमतों पर भी दिखा और समीक्षाधीन सप्ताहांत में तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए.
सूत्रों ने कहा कि संभवत: होली के कारण पिछले दो-तीन दिन से मंडियों में सरसों की आवक घटकर 6-6.5 लाख बोरी रह गई जो इससे कुछ दिन पहले ही लगभग 15-16 लाख बोरी के बीच हो रही थी. उन्होंने कहा कि सोमवार को मंडियों के खुलने के बाद आगे के रुख का पता लगेगा.
सूत्रों ने कहा कि पिछले दो-तीन साल के दौरान किसानों को अपने तिलहन फसल का अच्छा दाम मिलने से तिलहन की पैदावार बढ़ी है और इस बार सरसों की अच्छी पैदावार है. उपज बढ़ने के साथ-साथ सरसों से तेल प्राप्ति का स्तर भी बढ़ा है. पिछले साल सरसों से तेल प्राप्ति का स्तर 39-39.5 प्रतिशत था जो इस बार बढ़कर लगभग 42-44 प्रतिशत हो गया है.
सूत्रों ने बताया कि विदेशी बाजारों में मंदी और स्थानीय आवक बढ़ने के कारण अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 200 रुपये घटकर 7,500-7,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गया. सरसों दादरी तेल 1,000 रुपये घटकर 15,300 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 100 रुपये और 75 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,425-2,500 रुपये और 2,475-2,575 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं.
सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में मंदी के बीच सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 350-350 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 7,425-7,475 रुपये और 7,125-7,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए.
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी गिरावट आई. सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 650 रुपये, 810 रुपये और 720 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 16,500 रुपये, 16,000 रुपये और 15,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए.
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाने का भाव 150 रुपये घटकर 6,700-6,795 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली सॉल्वेंट के भाव क्रमश: 420 रुपये और 65 रुपये घटकर क्रमश: 15,600 रुपये प्रति क्विंटल और 2,580-2,770 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए.
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 550 रुपये घटकर 14,600 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. पामोलीन दिल्ली का भाव भी 850 रुपये की हानि दर्शाता 15,850 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 900 रुपये की गिरावट के साथ 14,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 350 रुपये की हानि दर्शाता 15,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.