साजिश या लापरवाही? Vivo के 13, 500 से ज्यादा फोन एक ही IMEI नंबर पर एक्टिव, मेरठ पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच शुरू
Vivo Y93s (Photo Credit-Twitter)

मेरठ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) स्थित मेरठ पुलिस (Meerut Police) की साइबर क्राइम सेल की पांच महीने तक चली एक जांच में सुरक्षा उल्लंघन का बड़ा खुलासा हुआ है. चाइनीज मोबाइल कंपनी वीवो को लेकर शुरू की गई इस जांच में पता चला है कि इसके 13, 500 से भी ज्यादा मोबाइल फोन इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (International Mobile Equipment Identity) यानी IMEI नंबर पर देश के विभिन्न हिस्सों में एक्टिव हैं. IMEI नंबर एक 15 डिजिट का कोड है जो हर स्मार्टफोन में होता है. साल 2017 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India) यानी TRAI ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि सभी स्मार्टफोन में एक यूनिक IMEI नंबर होना चाहिए, जिसमें विफलता या छेड़छाड़ के लिए तीन साल तक की जेल हो सकती है.

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेरठ पुलिस ने चीनी फोन निर्माताओं और उसके सेवा केंद्र के खिलाफ मामला दर्ज किया है. कथित तौर पर इस साजिश या लापरवाही का खुलासा तब हुआ जब एक सब-इंस्पेक्टर ने साइबर अपराध सेल के कर्मचारियों को जांच के लिए अपना मोबाइल फोन दिया, क्योंकि मेरठ में वीवो सर्विस सेंटर पर रिपेरिंग के बावजूद फोन ठीक से काम नहीं कर रहा था. साइबर सेल ने पाया कि डिवाइस का IMEI नंबर बॉक्स पर प्रिंट किए गए IMEI नंबर से अलग है. बताया जाता है कि इस मामले में वीवो इंडिया से संपर्क भी किया गया, लेकिन अभी तक इस शिकायत का कोई जवाब नहीं आया है. यह भी पढ़ें: Vivo V19 Launch: वीवो के 64 मेगापिक्सल वाले स्मार्टफोन की आज भारत में लॉन्चिंग, जानें इस फोन की कीमत और खासियत

रिपोर्ट के अनुसार, 16 जनवरी 2020 को सर्विस सेंटर के मैनेजर ने कहा कि IMEI नंबर नहीं बदला गया था. साइबर सेल ने तब हैंडसेट में इस्तेमाल होने वाले सिम ऑपरेटर को IMEI नंबर फॉरवर्ड किया और इससे संबंधित डेटा की मांग की. टेलिकॉम ऑपरेटर ने बताया कि 24 सितंबर 2019 से देश के विभिन्न राज्यों में 13,557 वीवो कंपनी के मोबाइल फोन एक ही IMEI नंबर पर एक्टिव हैं.

मेरठ पुलिस ने कथित तौर पर सीआरपीएफ की धारा 91 के तहत वीवो इंडिया के नोडर ऑफिसर हरमनजीत सिंह को नोटिस सौंपा. मेरठ के एसपी अखिलेश एन सिंह ने कहा कि यह एक गंभीर सुरक्षा मुद्दा है और अपराधी इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. सिंह ने कहा कि यह मोबाइल फोन कंपनी की ओर से लापरवाही का नतीजा है.