SC On Fake Marriage Promise: शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं, अगर दोनों पक्ष बाद में विवाह कर लेते हैं तो: सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court | PTI

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 25 वर्षीय महिला से शादी के बहाने दुष्कर्म के आरोपी को बरी कर दिया. कोर्ट ने माना कि मामला सहमतिपूर्ण संबंध का है और अंततः दोनों का विवाह हो गया, इसलिए झूठे वादे का आरोप निराधार है. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की खंडपीठ ने कहा, "आरोप है कि झूठे वादे के कारण शारीरिक संबंध बने, ये आरोप निराधार है क्योंकि उनका रिश्ता बाद में विवाह में बदल गया."

पूरा मामला पीड़िता के पिता (तीसरे प्रतिवादी) द्वारा दर्ज शिकायत पर आधारित है. उसने आरोप लगाया कि आरोपी दिल्ली में आईआईटी कोचिंग कक्षाएं चलाता था. उसकी बेटी और आरोपी मिले और उनके बीच प्यार हो गया. आरोपी ने पीड़िता को शादी का आश्वासन दिया. इसके बाद, आरोपी ने आर्य समाज मंदिर से विवाह प्रमाण पत्र तैयार किया. HC On Marriage Promise: विवाहित महिला यह दावा नहीं कर सकती कि शादी का वादा तोड़कर उसे धोखा दिया गया, हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी

उन्होंने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी कर आरोपी ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए. नतीजतन, आरोपी पीड़िता को उसके पिता के आवास पर छोड़ गया. इसने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. चूंकि उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया, आरोपी ने वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है.

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, आरोपी के वकील ने पीड़िता के अधिवक्ता द्वारा जारी एक नोटिस अदालत के ध्यान में लाया. नोटिस में, पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसके और आरोपी के बीच विवाह हुआ था. इसके विपरीत, प्रतिवादी ने विवादित फैसले का समर्थन किया. HC On Married Woman-Rape and Marriage Promise: शादीशुदा महिला शादी के झूठे वादे पर रेप का मुकदमा नहीं चला सकती, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि नोटिस के अनुसार, पीड़िता को आरोपी की पत्नी बताया गया है. इसके अलावा, नोटिस में यह भी स्वीकार किया गया है कि आरोपी और पीड़िता के बीच विवाह हुआ था. नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपी के पिता द्वारा 50 लाख रुपये की मांग किए जाने के कारण पीड़िता को वैवाहिक घर से दूर कर दिया गया था.Consensual Sex On Marriage Promise Not Rape: शादी का वादा कर वयस्क महिला के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं

कोर्ट ने पीड़िता के पुलिस अधिकारी के समक्ष दिए गए बयान का भी अवलोकन किया. इसमें, उसने कहा कि आरोपी उसे आर्य समाज मंदिर ले गया और विवाह संपन्न कराया. इन तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, कोर्ट ने माना कि आरोपी और पीड़िता के बीच संबंध एक सहमतिपूर्ण संबंध था जो विवाह में परिणामित हुआ. इस प्रकार, कोर्ट ने आरोपी की अपील को स्वीकार कर लिया और प्राथमिकी रद्द कर दी.