नई दिल्ली: बिजली की अधिक डिमांड के कारण देश इस वक्त कोयले की कमी का सामना कर रहा है. इस बीच अब भारत सरकार के स्वामित्व वाली दुनिया की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया 7 साल बाद कोयले का आयात करने जा रही है. इस संबंध में बिजली मंत्रालय ने एक पत्र जारी किया है. वर्ष 2015 के बाद पहली बार कोल इंडिया कोयला संकट से निपटने के लिए कोयले का आयात करेगी. आयातित ईंधन देशभर के बिजली उत्पादन संयंत्रों को दी जाएगी. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि अप्रैल में हुए बिजकी संकट जैसी स्थिति आगे फिर से न बने.
बता दें कि कोयले के संकट से बिजली कटौती की चिंता और बढ़ गई है. इन चिंताओं से निबटने के लिए बिजली मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बिजली मंत्रालय ने 28 मई को लिखे पत्र में कहा है, "कोल इंडिया गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट (G2G) के आधार पर कोयले का आयात करेगी ताकि सरकारी ताप विद्युत संयंत्रों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPPs) के उसकी आपूर्ति की जा सके."
बिजली मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि लगभग सभी राज्यों ने सुझाव दिया था कि राज्यों द्वारा अलग-अलग कोयला आयात करने से जुड़ी निविदाओं से भ्रम की स्थिति पैदा होगी, इसलिए कोल इंडिया के माध्यम से ही खरीद की जाए. बता दें कि इस दौरान भारत को सबसे खराब बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था. कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया था.
ऐसी आशंका जाहिर की गई है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष (2022-23) की दूसरी तिमाही यानी सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान भारत को कोयले की व्यापक कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि तब बिजली की मांग अधिक होने की उम्मीद है.
रॉयटर्स के मुताबिक, बिजली मंत्रालय की एक आंतरिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये बातें कही हैं, जिसे रॉयटर्स ने देखा है. इससे देश में व्यापक बिजली कटौती का खतरा बढ़ गया है.