नई दिल्ली: देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) के खिलाफ एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच शुक्रवार से शुरू होने वाली है. चीफ़ जस्टिस पर लगे कथित यौन शोषण के मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस ए बोबडे (Justice SA Bobde) को नियुक्त किया गया है. तीन जजों की पैनल में जस्टिस बोबडे के अलावा जस्टिस एनवी रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी को शामिल किया गया है. इस बीच आरोप लगाने वाली महिला ने पैनल के जांच के तरीकों पर ऐतराज जताया है.
CJI पर आरोप लगाने वाली महिला ने जस्टिस बोबडे पैनल को चिट्ठी लिखी है. इसमें महिला ने कहा कि पैनल ने बिना उनका पक्ष जाने उसका चरित्र हनन कर दिया. आगे कहा है कि आतंरिक जांच पैनल में महिला सदस्य का बहुमत और बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं हैं. साथ ही महिला का आरोप है कि जस्टिस रमना चीफ जस्टिस गोगोई की करीबी है, इसलिए उन्हें जांच पैनल में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था.
हालांकि जांच पैनल ने महिला के आरोपों के पीछे किसी बड़ी साजिश की आशंका जताई है. इससे पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि शीर्ष अदालत की पूर्व महिला कर्मचारी के आरोप ‘‘अविश्वसनीय’’ हैं और यह सीजेआई कार्यालय को ‘‘निष्क्रिय’’ करने के लिए कुछ ‘‘बड़ी ताकतों’’ द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा है. दिल्ली में गोगोई के गृह कार्यालय में काम कर चुकी पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों ने न्यायपालिका को हैरान कर दिया. गोगोई ने कहा कि वह इन आरोपों का खंडन करने के लिये भी इतना नीचे नहीं गिरेंगे.
पिछले हफ्ते देश की सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जूनियर महिला कर्मचारी ने 22 जजों को लिखित शिकायत भेजकर आरोप लगाया था कि प्रधान न्यायाधीश ने अक्टूबर 2018 में उसका यौन उत्पीड़न किया था.
बता दें कि सीजेआई पर आरोप लगाने वाली महिला की आपराधिक पृष्ठभूमि है और उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज हैं. इसके साथ ही यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ अगले हफ्ते कई संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली है. इसके साथ ही देश में लोकसभा चुनावों का महीना भी है.