Chandrayaan-3: भारत के चंद्रयान-3 मिशन के बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में अब कुछ ही समय बाकी है और इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों में काफी उत्साह का माहौल है. 600 करोड़ रुपये की लागत वाला चंद्रयान-3 अभियान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए 14 जुलाई को शुरू हुआ था और आज तक इसने 41 दिन का सफर तय कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को कहा कि वह अपने महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (LM) को बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतारने के वास्ते 'ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस' (LM) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. 'चांद पर भारत', लाइव देखें चंद्रयान-3 की लैंडिंग, ऐतिहासिक पल के बनें गवाह.
चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले बेंगलुरु में नेहरू तारामंडल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ आनंद ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रमा मिशन चंद्रयान -3 पर बोलते हुए कहा कि लैंडर पर किसी भी उपकरण में कोई समस्या नहीं देखी गई है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए आनंद ने बताया कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर कैसे उतरेगा. उन्होंने कहा कि लैंडर के चंद्रमा पर उतरने का अभ्यास बुधवार शाम करीब 5:45 बजे शुरू होगा.
चांद पर ऐसे पहुंचेगा भारत
वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ आनंद ने आगे कहा, “जब लैंडर चंद्रमा से 25 किलोमीटर दूर होगा, तो अभ्यास शुरू हो जाएगा और हार्ड ब्रेकिंग चरण के दौरान यह अपने वेग को 7,000 किमी/घंटा से घटाकर 1,200 किमी/घंटा कर देगा. जैसे-जैसे लैंडर अन्य चरणों से गुज़रेगा, उसका वेग कम होता जाएगा. जब यह लगभग 0.2 मीटर/सेकेंड वेग तक पहुंच जाएगा, तो यह अपने बूस्टर को बंद कर देगा और चंद्रमा की सतह पर बहुत सुरक्षित रूप से गिर जाएगा.”
6:04 पर होगी सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. डॉ आनंद ने कहा कि जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर गिरेगा, तो वह अपने "मजबूत पैरों" पर उतरेगा. उन्होंने बताया कि यह एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया है.' 'उन्होंने कहा कि एक बार जब लैंडर उतर जाएगा, तो उसमें मौजूद उपकरणों के साथ अन्य सभी वैज्ञानिक विश्लेषण जारी रहेंगे.
डॉ आनंद ने बताया कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार सफलतापूर्वक हुआ, तो भारत इतिहास रच देगा और संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा. आनंद ने इसरो के आखिरी चंद्रमा मिशन चंद्रयान-2 के बारे में भी बात की और कहा कि यह लैंडिंग का पहला प्रयास था.
उन्होंने कहा, “चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दौरान कुछ तकनीकी गड़बड़ियां आ गईं, जिसके कारण लैंडर चंद्रमा पर नहीं उतर सका. त्रुटियों को देखते हुए उन्होंने सॉफ्टवेयर में बदलाव किया, उपकरणों में बदलाव किया. अब कई गुना अधिक मजबूत लैंडर गया बनाया है.”